Amit Shah Meeting With Chief Ministers Of Maharashtra And Karnataka: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने बुधवार को कर्नाटक (Karnataka) और महाराष्ट्र (Maharashtra) के मुख्यमंत्रियों (Chief Ministers) बसवराज बोम्मई (Basavaraj Bommai) और एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के साथ दो राज्यों के बीच दशकों पुराने सीमा विवाद (Border Dispute) को लेकर बैठक की। इससे पहले महाराष्ट्र सरकार ने सोलापुर (Solapur) जिले के अक्कलकोट (Akkalkot) के 11 गांवों को नोटिस जारी किया है। उनसे यह बताने के लिए कहा गया है कि उन्होंने कर्नाटक के साथ विलय (Merger) के लिए प्रस्ताव क्यों पारित किया।
गृहमंत्री ने कहा, नेताओं के नाम पर फर्जी एकाउंट बनाने वालों पर होगा केस
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “सीमा मुद्दे पर महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच आज सकारात्मक माहौल में बैठक हुई। सकारात्मक रुख रखते हुए दोनों राज्यों के सीएम इस बात पर सहमत हुए कि संवैधानिक तरीके से इसका समाधान निकाला जाना चाहिए।” उन्होंने कहा, “लोगों में गलत सूचना फैलाने के लिए दोनों राज्यों के कुछ राजनीतिक नेताओं के नाम पर कुछ फर्जी ट्विटर अकाउंट खोले गए थे। ऐसे ट्विटर खातों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी और इसमें शामिल लोगों को सार्वजनिक रूप से बेनकाब किया जाएगा।”
उन्होंने कहा, “दोनों राज्यों ने इस मामले के संबंध में एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी की अध्यक्षता में एक समिति बनाने पर सहमति व्यक्त की है, ताकि संवैधानिक मानदंडों का पालन किया जा सके और दोनों राज्यों में कानून व्यवस्था बनी रहे। साथ ही बाहरी लोगों और स्थानीय लोगों को किसी भी समस्या का सामना न करना पड़े।”
10 गांवों ने सरकार को प्रस्ताव वापस लेने की दी सूचना
हालांकि 11 गांवों में से 10 ने पहले ही राज्य सरकार को बता दिया है कि उन्होंने अपने प्रस्तावों को रद्द कर दिया है और महाराष्ट्र के साथ रहना चाहते हैं। खंड विकास अधिकारी (Block Development Officer) सचिन खुदे (Sachin Khude) ने बुधवार को द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “पिछले कुछ दिनों में, हमने अक्कलकोट तालुका में 11 ग्राम पंचायतों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था, जिन्होंने कर्नाटक के साथ विलय का प्रस्ताव पारित किया था। महाराष्ट्र विरोधी गतिविधियों में लगे होने के कारण इन गांवों को नोटिस जारी किए गए थे।”
नोटिस में कहा गया कि सरकार देती है बुनियादी सुविधाएं
खुदे ने कहा, “कारण बताओ नोटिस में साफ तौर पर कहा गया है कि सरकार बुनियादी सुविधाएं प्रदान करती है और पूछा कि ग्राम पंचायतों ने सरकारी दिशानिर्देशों के अनुसार उनके बारे में जागरूकता पैदा करने के बजाय ऐसा प्रस्ताव क्यों पारित किया।” खुदे ने कहा कि मंगलवार तक 10 ग्राम पंचायतों ने जवाब दे दिया था। खुदे ने कहा, “11 ग्राम पंचायतों में से 10 ने कहा है कि उन्होंने अपने प्रस्तावों को रद्द कर दिया है और महाराष्ट्र के साथ रहना चाहते हैं। जहां तक 11वीं ग्राम पंचायत का सवाल है, हमें बताया गया है कि सरपंच शहर से बाहर हैं।”
अक्कलकोट के विधायक सचिन कल्याणशेट्टी ने हालांकि कहा कि सभी 11 ग्राम पंचायतों ने अपने प्रस्ताव वापस ले लिए हैं। कल्याणशेट्टी ने कहा, “मैं उनके साथ बैठकें करता रहा हूं। कल भी मैंने उनके साथ बैठक की और उन्हें अपने-अपने गांवों में चल रही परियोजनाओं और कार्यों के बारे में जानकारी दी। बैठक में एक भी सरपंच ऐसा नहीं था जिसने कोई विवाद खड़ा किया हो। वे सभी प्रस्ताव वापस लेने पर सहमत हो गए हैं और इसे सरकार को बता दिया है।”
कल्याणशेट्टी ने कहा कि ग्रामीण बुनियादी सुविधाओं की मांग कर रहे थे, मुख्य रूप से सड़कों की। उन्होंने कहा, “कोविड के कारण, दो वर्षों के लिए विकास कार्यों पर प्रतिबंध थे। इसके अलावा, मानसून में देरी के कारण, हम सड़क का काम नहीं कर सके क्योंकि यह क्षेत्र काली कपास मिट्टी से भरा हुआ है।”