महाराष्ट्र में बीफ बैन को समुचित ढंग से लागू करने के लिए राज्य सरकार ने मानद पशु कल्याण अधिकारियों (Animal Welfare Officers) की नियुक्ति करने का फैसला किया है। पशुपालन विभाग ने पशु कल्याण के क्षेत्र में काम करने वाले संगठनों से आवेदन मंगवाए हैं। संगठनों से कहा गया कि वे ऐसे लोगों का नामांकन करें जो बीफ बैन को लागू करवाने की दिशा में काम करें। बता दें कि राज्य सरकार ने बीते साल महाराष्ट्र एनिमल प्रोटेक्शन एक्ट 1995 में बदलाव करते हुए गोवंश से जुड़े पशुओं के वध पर रोक लगा दी थी। सजा और जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है। इसके अलावा, बीफ बरामद किए जाने पर भी जुर्माने का प्रावधान है। बैन को हाई कोर्ट में चैलेंज किया गया। कोर्ट ने बैन को तो बनाए रखा, लेकिन बीफ खाने और राज्य के बाहर से इसे खरीदने की इजाजत दे दी। बैन को लागू कराने में पशुपालन विभाग के अलावा पुलिस भी काम करेगी। संशोधित कानून के तहत पूरे प्रदेश में अभी तक 200 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं।
विभाग की ओर से वेबसाइट पर डाले गए विज्ञापन के मुताबिक, ये अधिकारी बैन को प्रभावशाली ढंग से लागू करना सुनिश्चित कराएंगे। वे सरकारी एजेंसियों को पशुओं के साथ होने वाली क्रूरता की घटनाओं की जानकारी देंगे। पशुपालन विभाग में काम करने वाले अफसरों का कहना है कि ये अफसर गोहत्या और बीफ के गैरकानूनी ढंग से जमा करने की घटनाओं की जानकारी देंगे।
महाराष्ट्र के औरंगाबाद, ओकला, मराठवाड़ा और विदर्भ जैसी जगहों पर बहुत बार ऐसा होता है कि मीट ले जा रही किसी भी गाड़ी को बीफ होने के शक में रोक लिया जाता है। ऐसे में उन लोगों के खिलाफ केस भी दर्ज हो जाता हो जिनका पुश्तैनी काम मीट बेचना ही है।
सरकार के इस कदम को गलत ठहराते हुए MIM पार्टी के विधायक इमतियाज जलील ने कहा कि सरकार के इस कदम से लगता है कि उसे अपनी पुलिस पर भरोसा नहीं है। जलील ने कहा, ‘सरकार को पुलिस के समकक्ष काम करने वाले ऐसे किसी संगठन को बनाने की जरूरत ही क्यों पड़ रही है?’