Maharashtra Vande Mataram: महाराष्ट्र सरकार के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने मंत्री बनने के कुछ घंटे के अंदर एक बयान दिया था। जिसमें उन्होंने कहा था कि महाराष्ट्र के सभी सरकारी कार्यालयों में अधिकारी और कर्मचारी अब फोन कॉल आने पर अनिवार्य रूप से हैलो-नमस्ते के बजाय ‘वंदे मातरम’ के साथ बात शुरू करेंगे। उनके इस बयान के बाद राजनीति गर्मा गई है। AIMPLB के संस्‍थापक सदस्‍य मोहम्मद सुलेमान ने मंत्री के इस बयान पर आपत्ति जताई है।

मोहम्मद सुलेमान ने कहा कि महाराष्ट्र के मंत्री का बयान भारत की संवैधानिक व्यवस्था के खिलाफ है। भारत की संवैधानिक व्यवस्था यह है कि जो हमारा हिंदुस्तान है, विविधताओं का देश है। यहां अलग-अलग मान्यताएं हैं। आजादी की लड़ाई में भी अलग-अलग मान्यताओं के आधार पर लोगों ने नारे भी गढ़े। किसी ने जय हिंद कहा, तो किसी ने इंकलाब कहा।

सुलेमान ने कहा कि भारत की आजादी में हिंदू महासभा के लोगों ने और अन्य भी लोगों ने वंदे मातरम भी कहा। उन्होंने कहा कि कोई भी बात या कोई अभिवादन टेलीफोनिक रिंग के बाद जबाव देने पर थोपा नहीं जा सकता। क्योंकि यह संवैधानिक व्यवस्था नहीं है।

सुलेमान से साफ तौर कहा कि यह भाजपा के कंट्रोवर्शियल सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का एजेंडा है। जिसको थोपा जा रहा है। पार्लियामेंट में पूरी कोशिश की गई। गृह मंत्री तक ने कहा, लेकिन कुछ सदस्यों ने कहा कि इसको आप थोप नहीं सकते। उन्होंने कहा कि ये सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के नाम पर एक खास संस्कृति को थोपने की भाजपा कोशिश कर रही है।

जब उनसे पूछा गया कि सरकार सरकारी कर्मचारियों को वंदे मातरम बोलने के लिए कह रही। इस सवाल के जवाब में सुलेमान ने कहा कि सरकार क्यों कह रही है, क्या सरकारी कर्मचारी विभिन्न संस्कृति और मान्यताओं से ताल्लुक नहीं रखते।

सुलेमान ने सवाल किया कि क्या सब एक मान्यता और एक संस्कृति के लोग हैं। जैसा कि भाजपा का एजेंडा है कि एक भाषा, एक संस्कृति और एक राष्ट्र। उन्होंने कहा कि यह जो नारा है, वो देश की भावनाओं और संस्कृति के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि यह (भाजपा) अपनी कमजोर सरकार को कुछ दिन स्थापित रखना चाहते हैं। इसलिए इस तरह की विवादस्पद बातें कर रहे हैं।