महाराष्ट्र में सत्ता बदलने के साथ ही पुरानी सरकार के फैसलों पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। ताजा मामला आरे में मेट्रो डिपो के निर्माण प्रोजेक्ट से जुड़ा है। आरे में एक संरक्षण संगठन से जुड़ी एक्टिविस्ट जोरू भथेना के मुताबिक, आरे मिल्क कॉलोनी में बनने वाले मेट्रो कार डिपो के निर्माण कार्य में सिर्फ 70 करोड़ रुपए ही खर्च हुए थे, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दावा किया था कि इस पर 400 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। भथेना का कहना है कि यह जानकारी एक आरटीआई के जरिए सामने आई है।
भथेना ने कहा है कि यह आरटीआई उनके संगठन के एक व्यक्ति और पर्यावरणविद स्टालिन डी ने दायर की थी। उन्होंने बताया कि मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड ने इसके जवाब में बताया कि डिपो के काम में 70 करोड़ रुपए ही खर्च हुए थे। इसमें पेड़ काटने के 5 करोड़ रुपए और जमीन तैयार करने के 27 करोड़ रुपए शामिल थे। इसके अलावा ड्रेन निर्माण और पाइप हटाने में दो करोड़ रुपए खर्च हुए। यानी अकेले प्राकृतिक संसाधनों को बर्बाद करने में ही 34 करोड़ रुपए लगा दिए गए।
इतना ही नहीं आरे में अस्थाई शेड बनाने के लिए 17 करोड़ रुपए अलग से खर्च हुए और यहां स्थाई सीमेंट-आरसीसी का काम कराने में 20 करोड़ की अतिरिक्त लागत आई। भथेना ने फडणवीस सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि आपकी जानकारी और प्राथमिकताएं सब गलत थीं। यह शर्मनाक है। इन गलतियों से मुंबई को सबसे ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। भथेना ने ट्वीट में कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस को बताना चाहिए कि बचे हुए 330 करोड़ करोड़ रुपए कहां हैं।
बता दें कि महाराष्ट्र की मौजूदा महाविकास अघाड़ी सरकार ने हाल ही में मेट्रो लाइन 3 के कार डिपो को आरे मिल्क कॉलोनी से हटाकर कंजुरमर्ग ले जाने का निर्णय किया है। हालांकि, इस फैसले पर उद्धव सरकार पर भाजपा की ओर से कई हमले किए गए। देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि आरे कार डिपो के लिए पहले ही काफी रकम खर्च हो चुकी है और इसे दूसरी जगह ले जाने पर और खर्च बढ़ेगा।