शिवसेना के वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे ने बगावत कर सीएम उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार को संकट में डाल दिया है। शिंदे की बगावत के बाद शिवसेना समेत गठबंधन के दो अन्य सहयोगी सरकार बचाने की कवायद में जुटे हैं। बुधवार को एनसीपी प्रमुख शरद पवार के आवास पर नेताओं का जमावड़ा लगा रहा और आगे क्या रणनीति होगी, इस पर मंथन होता रहा। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना विधायकों के सूरत पहुंचने की किसी को भनक नहीं लगी। एनसीपी प्रमुख ने इस पर नाराजगी जताई है कि कोई खुफिया जानकारी क्यों नहीं थी कि शिंदे रात के अंधेरे में विधायकों के साथ बाहर जा रहे हैं।

मुंबई पुलिस एनसीपी नेता और महाराष्ट्र के गृह मंत्री दिलीप वालसे-पाटिल को रिपोर्ट करती है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि शिवसेना के विधायकों की गतिविधि से गृहमंत्री अनजान थे। क्या 22 विधायकों के ग्रुप की मूवमेंट पर मुंबई पुलिस ने ध्यान नहीं दिया। एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, शरद पवार ने महाराष्ट्र के गृह मंत्री दिलीप वालसे पाटिल और जयंत पाटिल के अलावा अन्य नेताओं के साथ बैठक की।

इस बैठक में शरद पवार ने नाराजगी जताई और पूछा कि इन विधायकों के राज्य से बाहर जाने की भनक क्यों नहीं लगी, क्या इसको लेकर कोई खुफिया जानकारी नहीं थी। इसके पहले, शरद पवार ने शिंदे की बगावत पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे शिवसेना का आंतरिक मामला बताया था। उन्होंने उम्मीद जताई थी सीएम ठाकरे इसका हल निकाल लेंगे। वहीं, एनसीपी के एक विधायक ने एकनाथ शिंदे की बगावत को “पूर्व-नियोजित” बताया है और कहा है कि राज्यसभा और एमएलसी चुनाव के दौरान इसके लिए रणनीति बनाई गई थी।

दूसरी तरफ, सीएम उद्धव ठाकरे ने फेसबुक लाइव के जरिए सियासी संकट पर बात की। उन्होंने कहा कि अगर बागी विधायक उनसे सामने आकर इस्तीफा मांगते हैं तो वे इसके लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि शिवसेना से गद्दारी करना ठीक नहीं है। उद्धव ठाकरे ने कहा कि उनपर आरोप लगते हैं कि वे किसी ने मिलते नहीं हैं जबकि तबीयत खराब होने के बावजूद उन्होंने लोगों से मुलाकात की है।