Cheating Free Exams: जटिल समस्याओं का समाधान बड़ी सोच और तकनीक की मदद से किया जा सकता है। उत्तरी महाराष्ट्र का आदिवासी बहुल जिला धुले इसका एक अच्छा उदाहरण है। जिले के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) विशाल नरवड़े ने शिक्षकों के मोबाइल और जूम एप का उपयोग करके परीक्षाओं को पूरी तरह से नकल मुक्त कर दिया। इन परीक्षाओं में सरकार का कोई अतिरिक्त खर्च नहीं आया।
भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) के 2020 बैच के अधिकारी विशाल नरवड़े जब धुले जिले के सीईओ बनाए गए तब उन्होंने महसूस किया कि जिले में परीक्षाओं में नकल एक बड़ी समस्या है। नरवड़े ने बताया कि उन्होंने इस समस्या को खत्म करने के संकल्प से साथ काम शुरू किया। उन्होंने बताया कि जिले में स्थित विद्यालयों के शिक्षकों और प्रधानाचार्यों को जब नकल मुक्त परीक्षा कराने के विचार के बारे बताया गया तो सबसे पहले उन्हीं की ओर से विरोध किया गया। शिक्षकों और प्रधानाचार्यों का कहना था कि यह व्यवस्था मुमकिन नहीं है।
परीक्षाओं के प्रति विद्यार्थियों में सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित हुआ
हालांकि, नरवड़े ने बाद में शिक्षकों और प्रधानाचार्यों को इसके लिए मना लिया। इसके बाद जब विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों को नकल मुक्त परीक्षाएं कराने जाने की सोच के बारे में पता चला तो उन्होंने भी काफी विरोध किया लेकिन जब उन्हें बताया गया कि इससे उनका भविष्य ही खराब हो रहा है तो वह भी मान गए। इतना ही नहीं बाद में परीक्षाओं के प्रति विद्यार्थियों में सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित हुआ जिससे वे ईमानदारी से अध्ययन के लिए प्रेरित हुए।
सीईओ नरवड़े ने बताया कि हमने दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षाओं से कई महीने पहले ही नकल मुक्त परीक्षा कराने की तैयारी शुरू कर दी थी। उन्होंने बताया कि इसके लिए सबसे पहले करीब 2,000 शिक्षकों को एक-एक दिन का प्रशिक्षण दिया गया। उसके बाद जहां-जहां परीक्षा होनी थी, वहां पर पहले ही इसका परीक्षण किया गया जो पूरी तरह से सफल रहा। नरवड़े ने बताया कि हमने पूरे जिले में 110 से अधिक विद्यालयों के करीब 965 कक्षाओं में परीक्षाओं का आयोजन किया।
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इस दौरान सभी कक्षों से लाइव स्ट्रीमिंग की गई और जिला मुख्यालय पर उसकी निगरानी हुई। दसवीं की परीक्षा 24,000 और बारहवीं की 22,000 से अधिक विद्यार्थियों ने दी। बोर्ड परीक्षाएं 11 फरवरी, 2025 से शुरू होकर 17 मार्च, 2025 तक आयोजित की गई थीं। उन्होंने बताया कि परीक्षा दे रहे विद्यार्थियों को किसी प्रकार की असुविधा न हो, इसके लिए सभी मोबाइल को ‘साइलेंट’ और ‘म्यूट’ मोड में रखा जाता है।
उन्होंने कहा कि इस दौरान एक दो जगह हमें लगा कि कोई विद्यार्थी कुछ गड़बड़ कर रहा है तो उसके बारे में यहीं से शिक्षक को बताया गया। नरवड़े ने बताया कि इस व्यवस्था से दसवीं और बारहवीं की परीक्षाएं पूरी तरह से नकल मुक्त कराई गईं। उन्होंने बताया हमने न केवल बोर्ड परीक्षाएं बल्कि जवाहर नवोदय विद्यालयों की प्रवेश परीक्षा और छात्रवृत्ति परीक्षा में भी इसी तरह आयोजित की गईं। नरवड़े ने बताया कि नकल मुक्त परीक्षा के आयोजन को लेकर हमने राज्य सरकार के सामने भी एक प्रस्तुति दी है जिसके बाद राज्य मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव ने भी इस कार्य की प्रशंसा की है। उन्होंने बताया कि हो सकता है कि इसे सरकार की नीति में शामिल किया जाए।