सिमी आतंकी संगठन के सदस्य अबु फैज़ल का कहना है कि वह शरियत पर विश्वास करता है न की संविधान पर। यह बात अबु फैज़ल ने स्पेशल कोर्ट से लिखित में कही। बता दें कि अबु पर भारतीय जनता युवा मोर्चा के एक कार्यकर्ता की हत्या करने का दोषी ठहराने के बाद उसे आजीवीन कारावास की सजा सुनाई गई है। स्पेशल कोर्ट को लिखे अपने पत्र में अबु ने कहा कि मैं अल्लाह और शरियत पर विश्वास करता हूं। मुझे वकील की जरुरत नहीं है और मैं अपना कोई बचाव नहीं करना चाहता। आपको जो सजा सुनानी है आप सुना सकते हैं। मैं कुछ नहीं कहूंगा क्योंकि मैं एक मुसलमान हूं और मेरा बस अल्लाह और शरियत पर विश्वास है।
अबु ने लिखा मुझे न तो कानून पर भरोसा है और न ही संविधान पर विश्वास है। मुझे आपकी कोर्ट से किसी भी प्रकार का न्याय मिलने की कोई आशा नहीं है। इसके बाद अबु ने स्पेशल कोर्ट को लिखा बाबरी मस्जिद केस में बहुसंख्यक समुदाय के चश्मदीदों और सबूतों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया और कई मुसलमानों की हत्या कर दी गई। बता दें कि अबु मध्य प्रदेश के भोपाल की जेल में बंद है। यह पत्र अबु ने 5 जुलाई, 2014 को भोपाल जिला जेल अधीक्षक द्वारा स्पेशल कोर्ट को भेजा था जिसे दो हफ्ते बाद ट्रायल कोर्ट द्वारा ऑन रिकोर्ड किया था।
विशेष न्यायाधीश गिरीश दीक्षित, जिन्होंने फैजल और दो अन्य लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, उन्होंने 29 अगस्त को अपने 49-पेज के फैसले में भी इस पत्र को शामिल किया। जज ने कहा कि इस पत्र से यह पता चलता है कि देश में कोर्ट और सेक्यूलर संविधान के लिए विश्वास कितना कम है। गौरतलब है कि 2 जनवरी, 2009 को खांडवा के बीजेवाईएम अध्यक्ष प्रमोद तिवारी पर हमला किया गया था। इस मामले में अबु फैज़ल , अब्दुल्ला और राकिब अब्दुल वकील को हाल ही में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।