कहते हैं कि कुछ करने का जज्बा हो तो फिर कितनी भी मुसीबतें रास्ते में क्यों न आएं, इंसान अपने लक्ष्य को हासिल कर ही लेता है। इस पंक्ति को जावरा की एक बेटी ने सच कर दिखाया है। जावरा की बेटी निरंजना सिविल जज बन गई है.
निरंजना ने बताया कि उसके पिता जुझार मालवीय की कोर्ट परिसर जावरा में फोटो कॉपी की दुकान है। जब वो हाईस्कूल में थी, तब से उसका कोर्ट परिसर में अपने पिता की दुकान पर आना-जाना लगा रहता था। वहां न्यायाधीशों को आते-जाते देखकर उसको प्रेरणा मिली और उसने मान लिया कि उसके जीवन का अंतिम लक्ष्य सिविल जज बनना ही है।
निरंजना बताती है कि साल 2018 में कानून में स्नातक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उसने सिविल जज बनने के लिए निरंतर तैयारी की। पहली बार साक्षात्कार में असफल रहने के बाद दूसरे प्रयास में उसने सफलता हासिल की। अपनी इस सफलता का पूरा श्रेय वह अपने माता-पिता को देती है। निरंजना कहती है, “आज मैं जो भी हूं वह अपने माता-पिता की बदौलत ही हूं”।
उसने बताया कि एक बार सीआरपीएफ में जाने के लिए मन में आया था, लेकिन मेरे पिता ने सिविल जज की तैयारी करने की सलाह दी। उसने बताया कि मेरी मां ने मुझसे कभी घरेलू काम नहीं करवाया और हमेशा पढ़ाई के लिए ही प्रेरित किया।
निरंजना के पिता जुझार मालवीय ने बताया कि उनके चार बच्चे हैं। न्यायालय परिसर में मेरी फोटो कॉपी की दुकान है। निरंजना फोटो कॉपी की दुकान में मेरा सहयोगी करती थी। वह कोर्ट परिसर में जजों को आते-जाते देखती थी। उसने एक दिन मुझसे कहा कि पापा मुझे भी जज बनना है। मेरे दिमाग में आया यह तो बहुत कठिन काम है, लेकिन उसके बाद मैंने अपनी बेटी का पूरी तरह से सहयोग किया। उन्होंने कहा कि निरंजना ने जो सफलता हासिल की है। इसके लिए मैं ईश्वर का आभारी हूं। जो असंभव सा लग रहा था, वह आज संभव हो गया है।
उन्होंने कहा कि मैंने तो सोचा था कि यह एडवोकेट बन गई है। यहीं तक मैं संतुष्ट था, लेकिन उसका सिविल जज बनना मेरे लिए बहुत गर्व की बात है। वहीं निरंजना की योगेश मालवीय से शादी हो गई। योगेश भी पेशे से वकील हैं।