मध्य प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किए जाने के बाद कमलनाथ पहली बार 1 मई को भोपाल पहुंचेंगे। इसके बाद वो अगले चार दिन तक यानी चार मई तक राज्य के विभिन्न शहरों का दौरा करेंगे। इस दौरान वह उज्जैन के महाकाल मंदिर जाएंगे और भगवान शिव की आराधना करेंगे। उज्जैन के बाद कमलनाथ दतिया में मां पीतांबरा पीठ का भी दर्शन करेंगे। सूत्रों के मुताबिक कमलनाथ इस दौरे पर अन्य मंदिरों का भी दौरा करेंगे और नहां माथा टेकेंगे। बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी गुजरात में और कर्माटक में मंदिरों का दौरा करते और वहां माथा टेकते नजर आ चुके हैं। चूंकि इस साल के आखिर तक मध्य प्रदेश में विधान सभा चुनाव होने हैं, इसलिए कमलनाथ भी राहुल गांधी की राह चलते हुए प्रदेश भर के मंदिरों में माथा टेक सकते हैं।
इधर, कमलनाथ के मित्र, एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह फिर से एक नई राजनीतिक यात्रा शुरू करने वाले हैं। कहा जा रहा है कि दिग्विजय सिंह की यह यात्रा 15 मई से टीकमगढ़ जिले की धार्मिक नगरी ओरछा से शुरू होगी। ओरछा को मध्य प्रदेश का अयोध्या कहा जाता है। सियासी गलियारों में चर्चा है कि दिग्विजय सिंह की दूसरी राजनीतिक यात्रा कमलनाथ के लिए हो रही है। इससे पहले ही दिग्विजय सिंह पत्नी समेत नर्मदा परिक्रमा यात्रा पूरी कर चुके हैं। नई यात्रा के दौरान दिग्विजय सिंह राज्य के सभी 230 विधान सभा क्षेत्र जाएंगे, जहां वो पार्टी के कार्यकर्ताओं से सघन संपर्क करेंगे।
कांग्रेस नेताओं द्वारा चुनाव से पहले मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थलों का दौरा हिन्दू मतदाताओं को अपने पाले में लामबंद करने के उद्देश्य से किया जा रहा है। गुजरात में कांग्रेस ने इसका सफल प्रयोग किया था। हालांकि, कई मौकों पर राहुल गांधी की यात्रा और उनके हिन्दू होने पर विवाद भी खड़े किए गए लेकिन कांग्रेस हिन्दू कोर वोटर्स में घुसपैठ करने में कामयाब रही। गुजरात में कांग्रेस की सीटें बढ़ने और बीजेपी की सीटें घटने में मंदिर परिक्रमा की भी अहम भूमिका मानी जाती है। मौजूदा कर्नाटक चुनाव में भी कांग्रेस ने लिंगायत कार्ड खेलते हुए लिंगायत मठों का लगातार दौरा किया है। माना जा रहा है कि इसका भी फायदा कांग्रेस को मिल सकता है। लिहाजा, इस क्रम को मध्य प्रदेश में भी दोहराए जाने की संभावना है।