मध्य प्रदेश में एक सहायक शिक्षक के पास करोड़ो रुपए की अवैध संपत्ति का पता लगा है। ग्वालियर के आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EoW) के छापे के दौरान चौकाने वाला मामला सामने आया है कि महज कुल हजार का वेतन पाने वाले सहायक शिक्षक ने अपने 16 साल की नौकरी के दौरान अवैध तरीके से करोड़ों रुपए की संपत्ति जुटा ली। इस सहायक शिक्षक का नाम प्रशांत परमार है  जिसकी अवैध तरीकों से जुटाई गई संपतियों का जाल मध्य प्रदेश के साथ साथ अन्य राज्यों में भी फैला हुआ है।

जांच के दौरान खुलासा हुआ है कि सहायक शिक्षक के पास कई स्कूल, कॉलेज 4 आलीशान घर, दफ्तर और मैरिज गार्डन है। वहीं उसके घर से लाखों रुपए का कैश और जेवरात मिले हैं।

ग्वालियर की आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EoW) के टीआई सतीश चतुर्वेदी ने बताया कि प्रशांत सिंह परमार सहायक शिक्षक है। इनके विरूद्ध शिकायत प्राप्त हुई थी कि सेवा के दौरान परमार के द्वारा करोड़ों रुपए की अवैध संपत्ति अर्जित की गई है। आगे अधिकारी ने बताया कि छापेमारी की कार्यवाही चार स्थान पर चल रही हैं। इनके नूराबाद स्थित कॉलेज पर भी छापा मारा गया है। पूरी संपत्ति के बारे में पूछे जाने पर अधिकारी ने कहा कि जांच की लिस्ट काफी लंबी है कार्यवाही पूरी होने के बाद ही कुछ बतया जा सकता है।

3500 रुपए था पहला वेतन: प्रशांत परमार मूल रूप से राजस्थान का रहने वाला है। फिलहाल वह ग्वालियर के घाटीगांव में मौजूद एक सरकारी स्कूल में सहायक शिक्षक के रूप में तैनात है। 2006 में उसने मध्य प्रदेश के ग्वालिर के एक सरकारी हाईस्कूल में सहायक शिक्षक के रूप में मजह 3500 रुपए से नौकरी की शुरुआत की थी। उसकी 16 साल की नौकरी से केवल वेतन की बात करें तो वह महज 20 लाख रुपए के आसपास बनता है।

भोपाल में उच्चाधिकारियों तक पहुंच: मीडिया रिपोर्ट के अनुसार प्रशांत परमार को ग्वालियर और उसके आसपास के जिलों के बीएड, डीएड और नर्सिंग कॉलेज के नेटवर्क का शिक्षा माफिया माना जाता है। उसकी पहुंच भोपाल में मौजूद बड़े शिक्षा अधिकारीयों तक है। कुछ बड़े अधिकारीयों ने उसके कॉलेजों में निवेश में किया हुआ है।