मध्य प्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं। इसमें भाग लेने वाले कुल 355 प्रत्याशियों में से 18 फीसदी ने खुद ही अपने खिलाफ आपराधिक मामलों की जानकारी दी है। कुल 63 प्रत्याशियों ने घोषणा कर दी है कि उनके खिलाफ आपराधिक केस दर्ज हो चुके हैं। यह जानकारी असोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने दी है। दरअसल मध्य प्रदेश में होने वाले उपचुनाव इसलिए अहम हैं क्योंकि इन्हीं चुनावों से फैसला हा सकता है कि आगे यहां किसकी सरकार रहेगी। इसीलिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही प्रचार में पूरी ताकत झोंक रही हैं।

चुनाव में कुल 355 उम्मीदवार मैदान में हैं। इनमें से 39 ने बताया है कि उनके खिलाफ गंभीर किस्म के आपराधिक मुकदमें हैं। ये केस गैरजमानती हैं और पांच साल कैद की सजा वाले हैं। पोल राइट्स ग्रुप के मुताबिक अपने ऐफिडेविट में कांग्रेस के कुल 28 प्रत्याशियों में से 14 ने और बीजेपी के 12 प्रत्याशियों ने क्रिमिनल केस डिक्लेयर किए हैं। बीएसपी के 8, एसपी के कुल 14 प्रत्याशियों में से चार, 178 निर्दलीय उम्मीदवारों में से 16 ने खुद के खिलाफ आपराधिक मुकदमे होने की जानकारी दी है।

ADR ने बताया कि कांग्रेस के 6 कैंडिडेट, बीजेपी के 13 प्रत्याशी और निर्दलीय 13 प्रत्याशियों ने खुद पर आपराधिक मुकदमे होने की बात कही है। एक प्रत्याशी ने हत्या (IPC 302) के मुकदमे और सात प्रत्याशियों ने हत्या की कोशिश (IPC 307) के मामलों के बारे में ऐफिडेविट में बताया। 28 विधानसभा सीटों में से 10 सीटें रेड अलर्ट हैं। रेड अलर्ट सीट वे होती हैं जिनमें तीन या ज्यादा प्रत्याशियों पर आपराधिक मुकदमे दर्ज होते हैं।

मध्य प्रदेश के उपचुनाव के लिए मौजूदा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ पूरी ताकत झोंक रहे हैं। पिछले लगभग एक महीने में कमलनाथ ने 19 तो शिवराज सिंह चौहान ने 38 जनसभाएं कर डालीं। कमलनाथ की तरफ से दिग्विजय सिंह भी मोर्चा संभाले हुए हैं। बीजेपी अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा 19 जनसभाएं कर चुके हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मध्य प्रदेश में बीजेपी की तरफ से जबरदस्त चुनाव प्रचार करने में लगे हुए हैं।