मध्य प्रदेश सरकार ने खरगोन हिंसा में शामिल लोगों से नुकसान की वसूली के लिए 2 सदस्यीय दावा न्यायाधिकरण (ट्रिब्यूनल) का गठन किया है। इसके संबंध में सरकार ने 12 अप्रैल को एक नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया। इस नोटिफिकेशन में कहा गया है कि सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश डॉ शिव कुमार मिश्रा और राज्य सरकार के सेवानिवृत्त सचिव प्रभात पाराशर ये काम तीन महीने में पूरा करेंगे।

सरकार द्वारा जारी नोटिफिकेशन के अनुसार खरगोन में हिंसा के दौरान नुकसान के आकलन से संबंधित मामलों की सुनवाई सरकार द्वारा गठित न्यायाधिकरण ही करेगा। इस न्यायाधिकरण का गठन सार्वजनिक और निजी संपत्ति वसूली अधिनियम-2021 के प्रावधानों के तहत किया गया है। यह न्यायाधिकरण दंगाइयों से नुकसान की वसूली भी सुनिश्चित करेगा।

सोमवार को ही राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मीडिया से कहा था कि, “रामनवमी के अवसर पर खरगोन में हुई घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। मध्यप्रदेश की धरती पर दंगाइयों के लिए कोई स्थान नहीं है। दंगाई चिन्हित कर लिए गए हैं, इनको छोड़ा नहीं जाएगा। उनके खिलाफ कठोरतम कार्यवाही की जाएगी। मध्यप्रदेश में हमने लोक एवं निजी संपत्ति को नुकसान का निवारण एवं नुकसानी की वसूली विधेयक पारित किया है। खरगोन के दंगाइयों को दण्डित तो किया ही जाएगा, साथ ही नुकसान की वसूली भी उनसे की जाएगी। राज्य सरकार इस संबंध में क्लेम ट्रिब्यूनल का गठन कर रही है।”

रामनवमी पर खरगोन में हुई हिंसा के मामले में 27 एफआईआर दर्ज की गई है। इसके साथ ही 100 से अधिक लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है। हिंसा में शामिल कई लोगों के घरों पर बुलडोजर भी चलाया जा चुका है। मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने साफ शब्दों में कहा था कि जिन घरों से पत्थर चलाए गए हैं, उनके घरों को पत्थर में तब्दील कर देंगे।

बता दें कि खरगोन हिंसा में शामिल लोगों पर कार्यवाही के दौरान एक ऐसे मकान पर भी बुलडोजर चलाया गया जो पीएम आवास योजना के अंतर्गत बना था। हालांकि मकान के लाभार्थी व्यक्ति ने बताया कि उन्हें 7 अप्रैल (खरगोन हिंसा से पहले) को ही नोटिस मिल गया था कि उनका मकान गलत जगह पर बना है और वह जमीन सरकारी है।