मध्यप्रदेश के प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा ने विवादित बयान दिया है। उन्होंने किसान स्वागत सम्मान समारोह में कहा कि देश का विभाजन महात्मा गांधी की भूल की वजह से हुआ। प्रोटेम स्पीकर का वीडियो भी सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रहा है। इसमें वो कहते हैं- क्या है… नाम से गफलत होती है। दिग्विजय सिंह काम और व्यवहार से जिन्ना से ज्यादा खतरनाक हैं। पहले जिन्ना ने देश विभाजन किया। 1947 में बापू से भूल हुई और देश के दो विभाजन हो गए। वैसा ही विभाजन सिंह करना चाहते हैं।
शर्मा राजधानी भोपाल के गांधी नगर इलाके में आयोजित एक समारोह में पहुंचे थे। यहां अपने भाषण के दौरान उन्होंने विवादित बयान दिया। बता दें कि रामेश्वर शर्मा पहले भी अपने विवादित बयानों के चलते सुर्खियों में आ चुके हैं। हाल में भी उन्होंने कांग्रेस नेताओं के खिलाफ विवादित बयान दिए। उन्होंने कहा था कि अगर कांग्रेस पत्थरबाजों का समर्थन करती है तो फिर इसके लिए उसे खुलकर सामने आना चाहिए और पत्थरबाजी की वारदातों की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने की इजाजत किसी को नहीं दी जा सकती। इसीलिए सरकार सख्त कानून बनाने पर काम कर रही है।
उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश में हिंदू महासभा ने बीते रविवार विश्व हिंदी दिवस पर ग्वालियर में अपने दफ्तर में महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे की ज्ञानशाला की शुरुआत कर दी। इस ज्ञानशाला में गोडसे और देश विभाजन से जुड़े तथ्यों को युवा पीढ़ी को बताने का काम किया जाएगा। हिंदू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. जयवीर भारद्वाज ने आरोप लगाया कि देश विभाजन के लिए कांग्रेस जिम्मेदार है, जिसके कारण अखंड भारत के दो टुकड़े हुए और करीब पांच लाख हिंदुओं की हत्या की गई तथा 20 लाख से ज्यादा हिंदू विस्थापित हुए।
महात्मा गांधी की भूल की वजह से देश का विभाजन हुआ :
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— News24 (@news24tvchannel) January 11, 2021
उन्होंने कहा कि देश विभाजन को कांग्रेस ने स्वीकार किया और उसके कारण आज पाकिस्तान दुश्मन है और भारत का बहुत बड़ा धन उसके साथ सुरक्षा में खर्च होता है। उन्होंने कहा कि यही नहीं, कांग्रेस ने ही देश में हिंदू और मुसलमान के बीच नफरत बढ़ाई। इसी कारण कांग्रेस ने नाथूराम गोडसे और नारायण राव आप्टे का अदालत में दिया गया बयान 50 वर्षों तक बाहर नहीं आने दिया। महात्मा गांधी की हत्या करने के जुर्म में गोड़से एवं आप्टे को 15 नवंबर 1949 को अंबाला की जेल में फांसी की सजा दी गई थी। (एजेंसी इनपुट)