मनमोहन सिंह लोधी राष्ट्रीय स्तर के पैरा-एथलीट हैं। मनमोहन कई मेडल जीत चुके हैं लेकिन आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। मनमोहन सिंह भोपाल की सड़कों पर भीख मांगकर गुजारा करते हैं। मनमोहन ने रविवार (2 सितंबर) को एएनआई से कहा, ”मैं मुख्यमंत्री से चार दफा मिल चुका हूं, उन्होंने वादे किए लेकिन उनमें कोई भी पूरा नहीं किया। मैं आर्थिक तौर पर कमजोर हूं। मुझे खेलने लिए और मेरे परिवार को चलाने के लिए भी धन का आवश्यकता है। अगर मुख्यमंत्री मेरी मदद नहीं करेंगे तो मैं अपनी रोजी रोटी सड़कों पर भीख मांगकर कमाऊंगा।” मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर के रहने वाले पैरा-स्प्रिंटर मनमोहन का कहना है कि वह राष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीत चुके हैं और सड़कों पर भीख मांगना तब से शुरू किया जब से सरकार ने अन्य वादों के साथ उन्हें सरकारी नौकरी देने का वादा पूरा नहीं किया।
I have met Chief Minister four times, he made promises but didn’t fulfil any of them. I am financially weak. I need money to play & also to run my family. If CM doesn’t help me, I will earn my livelihood by begging on the streets: Para-athlete Manmohan Singh Lodhi pic.twitter.com/zVflxTOJy5
— ANI (@ANI) September 2, 2018
Madhya Pradesh: Manmohan Singh Lodhi, a National-level para-sprinter from Narsinghpur, says he has started begging on the streets of Bhopal since the state govt is not fulfilling the promises of a government job among others made to him, after he won medals on national level pic.twitter.com/0MjUz7P9jg
— ANI (@ANI) September 2, 2018
मनमोहन ने एएनआई को बताया कि वह धावक हैं और गुजरात के अहमदाबाद में देश में दूसरा स्थान बनाकर सिल्वर मेडल जीता था और दिल्ली से मध्य प्रदेश के सर्वश्रेष्ठ दिव्यांग खिलाड़ी घोषित हैं। खेल की कोई राशि अब तक नहीं मिली और न ही राज्य सरकार से किसी प्रकार की आर्थिक मदद मिली है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 2009 में एक हादसे में मनमोहन ने अपना एक हाथ खो दिया था लेकिन यह दिव्यांगता उनके हौसले को पस्त नहीं कर सकी। उन्होंने कई राष्ट्रीय और राज्य स्तर की मेडल जीते।