मध्यप्रदेश में 2 जुलाई को शिवराज सिंह चौहान सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार हुआ। इस विस्तार में 28 विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह मिली। मंत्रिमंडल विस्तार में ज्योतिरादित्य सिंधिया के गुट का दबदबा देखने को मिला। मध्यप्रदेश की राजनीति में सिंधिया राजघराने का हमेशा से ही दबदबा रहा है।

सिंधिया राजघराने के सदस्य कांग्रेस के साथ ही भाजपा से भी चुनाव लड़ने के साथ ही केंद्र व राज्य सरकार में भी मंत्री रहे हैं। आज से करीब दो साल पहले जब राजपरिवार की सदस्य यशोधरा राजे सिंधिया शिवराज सरकार में खेल मंत्री थीं तब वे पार्टी की बैठक से बीच में ही नाराज हो कर चली गईं थी। इसकी वजह थी कि पार्टी की बैठक में उनकी मां और भाजपा की दिग्गज नेता रहीं राजमाता विजया राजे सिंधिया की तस्वीर नहीं लगी थी। इस बात पर नाखुशी जाहिर करते हुए वह तुरंत बैठक छोड़ वहां से रवाना हो गईं।

पार्टी की तरफ से यह बैठक भोपाल के बाहरी इलाके बैरागढ़ में आयोजित की गई थी। बैठक के दौरान मंच पर दीन दयाल उपाध्याय, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, अटल बिहारी वाजपेयी और कुशाभाऊ ठाकरे की तस्वीर लगी थी। लेकिन वहां राजमाता विजयाराजे सिंधिया की तस्वीर नहीं लगाई गई थी। इसके बाद मंत्री ने आयोजकों से कहा कि उन्होंने इसे एक बेटी के तौर पर नहीं बल्कि एक आम कार्यकर्ता के रूप में देखा।

उन्होंने यह कहा कि जिस पार्टी की वह संस्थापक सदस्य रहीं उन्हें किस तरह से नजरअंदाज कर दिया है। उन्होंने कहा कि पार्टी के लिए काम करने के दौरान विजयाराजे के पैर में किस तरह छाले पड़ जाते थे। हालांकि, बाद में राजमाता की तस्वीर को बैठक स्थल पर लाया गया लेकिन तब तक मंत्री वहां से जा चुकी थीं।

पार्टी नेताओं के बार-बार आग्रह करने के बावजूद भी वह वापस नहीं लौटीं। इस घटना की पुष्टि करते हुए भाजपा प्रवक्ता ने कहा था कि यह गलती से हो गया था लेकिन मंत्री इससे संतुष्ट नहीं हुई थीं।