मध्य प्रदेश में हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने धमाकेदार जीत दर्ज की थी, जिससे कांग्रेस की जीत के होने वाले दावों को बड़ा झटका लगा था। इसके बाद से ही मध्य प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व में कई अहम बदलाव किए गए है और राज्य में अध्यक्ष पद कमलनाथ से लेकर जीतू पटवारी को दिया गया था। पद जाने के बावजूद ऐसा लगता है जैसे कमलनाथ की हनक नहीं गई है और वे खुद को पार्टी से ऊपर मानने लगे हैं। इसका एक बड़ा उदाहरण छिंदवाड़ा से सामने आया है, जहां से अपने बेटे की लोकसभा चुनाव की उम्मीदवारी का ऐलान पार्टी से पहले कमलनाथ ने ही कर दिया है।
पिछले कई दिनों से चर्चाएं थीं कि शायद इस बार छिंदवाड़ा लोकसभा की सीट पर कांग्रेस की तरफ से मौजूदा सांसद नकुलनाथ नहीं, बल्कि उनके पिता और पूर्व सीएम कमलनाथ ही चुनाव लडे़ं। इसको लेकर अब नकुलनाथ ने छिंदवाड़ा में दावा किया है कि ये सारी बातें अफवाह हैं और इस सीट पर वे ही चुनाव लड़ेंगे। हालांकि नकुलनाथ इस दौरान काफी जोश में नजर आए थे।
नकुलनाथ ने कहा था कि विधानसभा में ज्यादा प्रत्याशियों के चलते गुटबाजी हो सकती है लेकिन लोकसभा में ऐसा कुछ नहीं होगा, क्योंकि छिंदवाड़ा से वे खुद एक बार फिर कांग्रेस से प्रत्याशी होंगे। नकुलनाथ के बयान के बाद अब उनके पिता और पूर्व सीएम कमलनाथ का भी बयान सामने आया है। कमलनाथ ने सीधे तौर पर कहा है वे नहीं बल्कि नकुलनाथ ही छिंदवाड़ा सीट से लोकसभा के उम्मीदवार होंगे। कमलनाथ ने कहा कि वे चुनाव तो नहीं लड़ेंगे लेकिन प्रचार जरूर करेंगे।
कमलनाथ ने पहले ही कर दिया ऐलान
अहम बात यह है कि अभी तक कांग्रेस पार्टी ने अपने प्रत्याशियों का ऐलान नहीं किया है। इंडिया गठबंधन की पार्टियां भी अभी तक कोई नहीं डिसाइड नहीं किया है कि आखिर कौन कहां से चुनाव लड़ेगा। हालांकि छिंदवाड़ा सीट पर किसी की दावेदारी भी नहीं है लेकिन फिर भी कमलनाथ ने इस सीट के लिए अपने बेटे के ही नाम का ऐलान कर दिया है। यह सवाल उठाता है कि क्या कमलनाथ अपने आप को कांग्रेस पार्टी से भी बड़ा समझते हैं औऱ क्या वे भूल गए हैं कि वे कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी नहीं हैं।
पार्टी से बड़े हो गए कमलनाथ
बता दें कि कमलनाथ मध्य प्रदेश में पहले अपना एकछत्र राज चलाते रहे हैं। इसके चलते उनका वह हनक वाला एटिट्यूड अभी तक वैसा ही है। कुछ राजनीतिक विश्लेषक यह तक कहते रहे हैं कि बीजेपी की जीत की सबसे बड़ी वजह पूर्व सीएम कमलनाथ ही थे, क्योंकि आलाकमान ने मध्य प्रदेश कांग्रेस की कमान पूरी तरह से कमलनाथ के हाथों में ही दे दी थी। ऐसे में कांग्रेस की हार के लिए उन्हें सबसे बड़ा जिम्मेदार माना जा रहा था। इसके चलते ही उनसे प्रदेश अध्यक्ष का पद छीना गया था, लेकिन अभी भी वे अहम और बड़े ऐलान पार्टी की आधिकारिक घोषणा से पहले ही कर दे रहे हैं।