मध्यप्रदेश में उप चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका लग सकता है। एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि राज्य में बुंदेलखंड इलाके से छह विधायक भाजपा के संपर्क में हैं। यदि ऐसा होता है तो पार्टी को उपचुनाव में 24 सीटों मुकाबले में अधिक मेहनत करनी पड़ सकती है।

उपचुनाव से पहले विधायकों के पार्टी छोड़ने से कार्यकर्ताओं के मनोबल के साथ ही आम जनता में भी कांग्रेस पार्टी को लेकर सकारात्मक संदेश नहीं जाएगा। विधायकों के पार्टी छोड़ने की आशंका को इसलिए भी बल मिल रहा क्योंकि रविवार को ही छतरपुर जिले के बड़ामलहरा विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक प्रद्युम्न सिंह लोधी पार्टी छोड़ भाजपा में शामिल हो गये।

लोधी के इस्तीफे के बाद कुल 230 सदस्यों वाली मध्य प्रदेश विधानसभा की 25 सीटें रिक्त हो गई हैं, जिनमें से 23 कांग्रेस के विधायकों के इस्तीफे से खाली हैं, जबकि दो सीटों पर भाजपा एवं कांग्रेस के एक-एक विधायक के निधन से रिक्त हैं।

वर्तमान में भाजपा के 107 विधायक हैं, जबकि कांग्रेस के 91, बसपा के दो, सपा का एक और चार निर्दलीय हैं। इन 25 सीटों पर होने वाले आगामी उपचुनाव के परिणाम महत्वपूर्ण है, क्योंकि विधानसभा में भाजपा एवं कांग्रेस के सदस्यों की वर्तमान संख्या को देखते हुए प्रदेश में इन दोनों दलों को ही सरकार बनाने का मौका ये परिणाम दे सकते हैं।

इससे पहले लोधी विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया, जो रविवार को मंजूर हो गया। इसके बाद वह रविवार को भोपाल में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा के समक्ष भाजपा में शामिल हो गये।

इस मौके पर लोधी ने कहा, ‘‘मैंने शनिवार को विधानसभा के प्रोटेम अध्यक्ष (रामेश्वर शर्मा) के समक्ष जाकर अपना विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र दिया था और आज उन्होंने मेरा त्यागपत्र स्वीकार कर लिया है।’’

मालूम हो कि मार्च में कांग्रेस के 22 विधायकों के राज्य विधानसभा से त्यागपत्र देने से कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस नीत सरकार 15 महीने में ही गिर गयी थी और चौहान के नेतृत्व में प्रदेश में भाजपा सरकार बनी है। वह रिकॉर्ड चौथी बार प्रदेश के मुखिया बने हैं। कांग्रेस के अधिकांश बागी विधायक, जिन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था, भाजपा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक माने जाते हैं।