लुधियाना नगर निगम में आम आदमी पार्टी को सबसे ज्यादा सीटें मिली हैं लेकिन वह बहुमत के आंकड़े से कुछ दूर रह गई। लुधियाना नगर निगम में 95 वार्ड हैं और यहां बहुमत हासिल करने के लिए उसे सात सदस्यों की और जरूरत थी। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, लुधियाना नगर निगम में कांग्रेस पार्टी को 30 सीटों पर जीत मिली (94 पर चुनाव लड़ा), बीजेपी ने 19 सीटें हासिल कीं (90 पर चुनाव लड़ा) और शिरोमणि अकाली दल दो सीटें (78 पर चुनाव लड़ा) जीतने में सफल रही। इसके अलावा लुधियाना नगर निगम में तीन निर्दलीय भी चुनाव जीतने में सफल रहे।
लुधियाना में आम आदमी पार्टी को सिर्फ स्पष्ट बहुमत हासिल न कर पाने का ही मलाल नहीं है बल्कि उसके दो वर्तमान विधायकों की पत्नी भी चुनाव हार गई हैं। इसके अलावा नगर निगम चुनाव में कांग्रेस पार्टी से मंत्री रहे एक नेता की पत्नी को भी शिकस्त का सामना करना पड़ा है।
Ludhiana MC Election Result 2024: कौन जीता – कौन हारा?
बात अगर बीजेपी की करें, तो यह उसके लिए अकालियों से रास्ते अलग करने के बाद लुधियाना नगर निगम का पहला चुनाव था… लुधियाना में बीजेपी की पूनम रात्रा ने आप विधायक अशोक पराशर पप्पी की पत्नी मीनू पराशर को 574 वोटों से हराया दिया। अशोक पराशर पप्पी लुधियाना सेंट्रल से विधायक हैं। लुधियाना नगर निगम चुनाव में अशोक पराशर के के भाई राकेश ने भी किस्मत आजमाई थी। वह वार्ड नंबर 90 से बीजेपी प्रत्याशी को 600 वोटों से हराने में सफल रहे। राकेश पहले कांग्रेस में रहे हैं और पांच बार पहले भी पार्षद रह चुके हैं।
इस चुनाव में लुधियाना वेस्ट के आप विधायक गुरप्रीत गोगी की पत्नी डॉ. सुखचैन बस्सी ने भी ताल ठोकी थी, लेकिन उन्हें कांग्रेस पार्टी की परमिंदर कौर के हाथों वार्ड नंबर 61 में 86 वोटों से हार का सामना करना पड़ा। डॉ. सुखचैन बस्सी के लिए खुद मुख्यमंत्री भगवंत मान प्रचार करने के लिए कैंपेन के आखिरी दिन गोगी के विधानसभा क्षेत्र में पहुंचे थे। आपको बता दें कि गुरप्रीत गोगी ने प्रदूषित बुड्ढा नाले की सफाई न होने पर अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था और खुद की सरकार द्वारा रखी गई सफाई परियोजना की आधारशिला को भी ध्वस्त कर दिया था।
डॉ. सुखचैन बस्सी को चुनाव हराने वाली परमिंदर कौर इंद्रजीत इंडी की पत्नी हैं। इंद्रजीत इंडी कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे भारत भूषण आशू के करीबी माने जाते हैं। इंद्रजीत इंडी और भारत भूषण आशू को कथित फूड ग्रेन घोटाले से जुड़े मामले में विजिलेंस ने गिरफ्तार किया था लेकिन हाई कोर्ट की तरफ से उनके खिलाफ दर्ज FIR कैंसिल कर दी गई।
लुधियाना में आम आदमी पार्टी के लिए जीत हासिल करने वालों में लुधियाना नॉर्थ के विधायक मदन लाल बग्गा के बेटे अमन बग्गा खुराना हैं। उन्होंने वार्ड नंबर 94 से कांग्रेस पार्टी के रेशम सिंह को 887 वोटों से हराया। इसके अलावा आम आदमी पार्टी के आतम नगर विधायक कुलवंत सिंह सिद्धू के बेटे युवराज सिंह सिद्धू ने वार्ड नंबर 50 में कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी को 1,900 वोटों से हराया।
लुधियाना नगर निगम चुनाव परिणाम : कांग्रेस के लिए कैसा रहे?
कांग्रेस पार्टी के लिए लुधियाना नगर निगम चुनाव ( LMC Elections Result) में मिलेजुले परिणाम रहे। पूर्व कांग्रेस मंत्री भारत भूषण आशू की पत्नी ममता वार्ड नंबर 60 में आम आदमी पार्टी के गुरप्रीत सिंह से 168 वोटों से चुनाव हार गईं। ममता तीन बार की पार्षद हैं। भरत भूषण आशू के चचेरे भाई नरिंदर काला (Narinder Kala) की पत्नी लीना शर्मा भी आम आदमी पार्टी की नंदिनी जयरथ से 195 वोटों से चुनाव हार गईं। नरिंदर काला दो बार के पार्षद हैं।
कांग्रेस नेता और पूर्व सीनियर डिप्टी मेयर शाम सुंदर मल्होत्रा वार्ड नंबर 84 से फिर जीतने में सफल रहे। उन्होंने बीजेपी के प्रत्याशी को 600 से ज्यादा वोटों से चुनाव हराया। कांग्रेस पार्टी के पूर्व विधायक सुरिंदर डावर की बहू शालू डावर वार्ड नंबर 85 से 600 से ज्यादा वोटों से जीतने में सफल रहीं। भरत भूषण आशू के करीबी माने जाने वाले सन्नी भल्ला की पत्नी दीपिका भल्ला वार्ड नंबर 69 से जीतने में सफल रहीं। उन्होंने बीजेपी की माला ढांडा को 1,700 वोटों से हराया। सन्नी भल्ला का नाम भी कथित फूड ग्रेस स्कैम में आ चुका है। उनसे पूछताछ भी की गई थी।
विपक्षी दल क्यों उठा रहे सवाल?
लुधियाना नगर निगम चुनाव (Ludhiana MC Election) को “अत्यधिक कुप्रबंधित और अनुचित” बताते हुए कांग्रेस पार्टी के नेता और लुधियाना शहर के अध्यक्ष संजय तलवार ने कहा कि कई सरकारें आईं और गईं लेकिन यह चुनाव सबसे ज्यादा मिसमैनेज्ड था। यह चुनाव सबसे अनुचित तरीके से करवाया गया। आम आदमी पार्टी को जिताने के लिए कई कॉलोनियों के वोटर्स के नाम हटाए गए थे। इस सब के बावजूद हम तीस वार्ड जीतने में सफल रहे और राज्य की सत्ता में होने पर भी AAP को बहुमत नहीं मिला। इतनी कम वोटिंग देखने को मिली, इसका कारण वोटर लिस्ट से नाम गायब होना है।
बीजेपी के सीनियर नेता और जिले के पूर्व अध्यक्ष प्रवीण बंसल ने कहा कि वोटर लिस्ट में इस तरह गड़बड़ की गई थी कि सैकड़ों लोग वोट नहीं डाल सके। क्या आम आदमी पार्टी सरकार बता सकती है कि क्यों सिर्फ 46% लोग वोट डालने के लिए आगे आए? बाकी लोग कहां चले गए? इतना कम मतदान बताता है कि कैसे वोटर लिस्ट से छेड़छाड़ की गई और वोटर्स के नाम हटाए गए। आखिरी दिन तक विपक्षी दलों के प्रत्याशियों को भी वोटर लिस्ट नहीं दी गई थी। आम आदमी पार्टी ने पुलिस और प्रशासन का इस्तेमाल कर 41 सीटें जीतीं। हम पहली बार अकेले लड़े और 19 सीटें जीतने में सफल रहे।