उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले में पत्रकार जागेंद्र सिंह को जलाकर मार डालने के मामले में छापामार दल में शामिल रहे पांचों पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। पुलिस महानिरीक्षक (कानून-व्यवस्था) ए सतीश गणेश ने शनिवार को पत्रकारों से कहा, ‘जागेंद्र सिंह की कथित हत्या में नामजद शाहजहांपुर चौक थाने के तत्कालीन दरोगा श्रीप्रकाश राय समेत छापादल में शामिल रहे सभी पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है’।
उन्होंने बताया कि इस मामले में दर्ज प्राथमिकी में प्रदेश के राज्यमंत्री राममूर्ति सिंह और दरोगा श्रीप्रकाश राय के अलावा चार अज्ञात पुलिसकर्मियों का भी जिक्र किया गया था। यह बताते हुए कि श्रीप्रकाश राय का तबादला झांसी कर दिया गया था, गणेश ने बताया कि जांच के बाद छापामार टीम में उनके साथ मौजूद रहे उपनिरीक्षक क्रांतिवीर सिंह, प्रधान आरक्षी सुभाष चंद्र यादव और आरक्षी उदयवीर व मंसूर को निलंबित कर दिया गया है। ये चारों फिलहाल शाहजहांपुर में ही तैनात थे।
उन्होंने बताया कि जांच के सिलसिले में अब तक जागेंद्र के बड़े बेटे, पिता, पत्नी और छोटे बेटे का बयान दर्ज कर लिया गया है। बयान अलग-अलग दर्ज किया गया है और उसकी वीडियोग्राफी भी कराई गई है। गणेश ने बताया कि निलंबित पुलिसकर्मियों का भी अलग-अलग बयान दर्ज कराया जाएगा और उसकी वीडियोग्राफी भी होगी।
पुलिस महानिरीक्षक ने बताया कि मुरादाबाद, बरेली और लखनऊ की फोरेंसिक टीमों ने शुक्रवार को जाकर मौके से कुछ सामग्री इकट्ठी की है। विस्तृत रिपोर्ट एक हफ्ते में मिलने की उम्मीद है। पत्रकार का जो मृत्यु पूर्व बयान दर्ज कराया गया था, वह फिलहाल अदालत में है और उसे प्राप्त करने की विधिक प्रक्रिया की जा रही है, ताकि उसे भी केस डायरी का हिस्सा बनाया जा सके।
राज्यमंत्री से पूछताछ किए जाने की संभावनाओं पर उन्होंने कहा ‘अभी शुरुआती स्तर पर मौके से सबूत जुटाने का काम किया जा रहा है और जांच के दौरान जब भी स्थिति आएगी तो वह काम (राज्यमंत्री वर्मा से पूछताछ) भी किया जाएगा’।
पत्रकार की हत्या में राज्यमंत्री राममूर्ति वर्मा को भी नामजद किए जाने के कारण सरकार पर उन्हें बचाने के आरोपों के बीच शुक्रवार को राज्यपाल राम नाईक ने इस संबंध में मुख्यमंत्री से बात की थी और शनिवार को इस सिलसिले में हुई पहली बड़ी कार्रवाई को उसका परिणाम समझा जा रहा है।
पहली जनवरी को शाहजहांपुर में आवास विकास कालोनी स्थिति उनके आवास पर पुलिस छापे के दौरान पत्रकार जागेंद्र सिंह संदिग्ध हालात में बुरी तरह झुलस गए थे। सिंह के परिजनों ने पुलिस पर जागेंद्र को जलाकर मार डालने की कोशिश का आरोप लगाया था। सिंह को 60 फीसद जली अवस्था में लखनऊ के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उनकी नौ जून को मौत हो गई।
सिंह की मृत्यु के बाद उनके बड़े बेटे राजवेंद्र सिंह ने इस मामले में प्रदेश के पिछड़ा वर्ग कल्याण राज्यमंत्री राममूर्ति वर्मा, दरोगा श्रीप्रकाश राय और गुफरान, आकाश गुप्ता, अमित प्रताप सिंह और भूरे नामक व्यक्तियों के खिलाफ अपने पिता की आग लगाकर हत्या करने के आरोप में पिछली नौ जून को मुकदमा दर्ज कराया था। प्राथमिकी में दरोगा के साथ चार अन्य पुलिसकर्मियों के भी मौजूद रहने की बात कही गई थी, मगर उनका नाम नहीं बताया था।
पत्रकार के परिजनों के मुताबिक जागेंद्र ने ‘फेसबुक’ पर की गई टिप्पणी में राज्यमंत्री पर इलाके में अवैध खनन और जमीनों पर जबरन कब्जे में संलिप्तता का आरोप लगाया था जिससे वर्मा बेहद नाराज थे। जागेंद्र ने मरने से पहले अपने बयान में मंत्री राममूर्ति वर्मा पर उसे और उसके परिवार को आतंकित करने का आरोप लगाते हुए कहा था कि दरोगा श्रीप्रकाश राय ने उसके घर में छापा मारे जाने के दौरान उस पर पेट्रोल छिड़ककर आग लगाई थी।
सवालों के बाद जागी सरकार
पत्रकार की हत्या में राज्यमंत्री राममूर्ति वर्मा को भी नामजद किए जाने के कारण सरकार पर उन्हें बचाने के आरोपों के बीच राज्यपाल राम नाईक ने मुख्यमंत्री से बात की थी और इस बाबत सवाल पूछे थे। शनिवार को इस सिलसिले में हुई पहली बड़ी कार्रवाई को उसका परिणाम समझा जा रहा है।
विपक्ष ने कहा दिखावा
विपक्षी दलों ने पांच पुलिसकर्मियों के निलंबन की कार्रवाई को दिखावा मात्र करार देते हुए मंत्री की गिरफ्तारी पर बल दिया। भाजपा प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि सरकार आरोपी मंत्री की बर्खास्तगी के बजाय उन्हें बचाने में लगी है। मंत्री की बर्खास्तगी की मांग सत्तारूढ़ दल के विधायक रविदास मेहरोत्रा भी उठा चुके हैं।