उत्तराखंड के उत्तरकाशी में माहौल काफी चिंताजनक है। उत्तरकाशी में दो हफ्ते से समुदाय विशेष की दुकानें बंद हैं। बीजेपी से जुड़े अल्पसंख्यक भी सुरक्षित नहीं महसूस कर रहे हैं। जाहिद मलिक 30 साल पहले उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के पुरोला शहर में आए थे और 18 साल से रेडीमेड कपड़ों की दुकान चला रहे हैं। वह छह साल पहले भाजपा में भी शामिल हुए थे। हालांकि बुधवार की रात को उन्होंने सब कुछ पैक कर लिया और एक ट्रक में लोड कर लिया क्योंकि वह हमेशा के लिए दुकान बंद कर रहे हैं।
मुस्लिम समुदाय की दुकानें बंद
जाहिद पुरोला बाजार के सात मुस्लिम दुकानदारों में से एक हैं जिन्होंने पिछले दो-तीन दिनों में स्थायी रूप से अपनी दुकानें बंद कर शहर छोड़ दिया है। ज़ाहिद के बड़े भाई अब्दुल वाहिद बहुत पहले पुरोला आ गए थे। अब्दुल की तीन दशक से भी अधिक समय से दर्जी की दुकान को उनकी मृत्यु के बाद से उनके बेटे शाहनवाज़ चलाते हैं। लेकिन अब शाहनवाज भी शहर छोड़ने पर विचार कर रहे हैं।
पुरोला इलाके में तनाव 26 मई को उस समय भड़क गया जब कुछ स्थानीय निवासियों ने कथित तौर पर एक नाबालिग लड़की के साथ दो लोगों को पाया। दो लोगों में से एक मुस्लिम था और इसी कारण लव जिहाद के आरोप लगे। पुलिस ने दो लोगों की पहचान उबैद खान (24) और जितेंद्र सैनी (23) के रूप में की, जिन पर आईपीसी की धारा 363 (अपहरण) और 366 ए (नाबालिग लड़की की खरीद) के साथ-साथ POCSO अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था। वे फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं।
जांच से जुड़े एक अधिकारी ने कहा, “लड़की इन लोगों को नहीं जानती थी। लव जिहाद का कोई एंगल नहीं है। हम इसे लव जिहाद तभी कह सकते हैं जब लड़की और लड़के एक-दूसरे को जानते हों, या लड़का खुद को किसी और के रूप में पेश करता है या उनकी पहले से दोस्ती थी। लेकिन यहां ऐसा नहीं है।”
घटना के अगले दिन राइट विंग समूहों, स्थानीय व्यापार मंडल (ट्रेड यूनियन) और कुछ निवासियों द्वारा विरोध रैलियों का आयोजन किया गया। उन्होंने आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की और शहर में आने वाले बाहरी लोगों की कड़ी सत्यापन प्रक्रिया की मांग की। पोस्टरों में मुस्लिम व्यापारियों को धमकी दी गई है कि अगर उन्होंने अपनी दुकानें बंद नहीं कीं तो परिणाम भुगतने होंगे।
करीब 40 दुकानें मुस्लिमों द्वारा संचालित
पुरोला में मुसलमानों द्वारा संचालित लगभग 35-40 दुकानें हैं और सभी पिछले 12 दिनों से बंद हैं। जिला प्रशासन ने इस बीच बाहर से आने वालों के बारे में पता लगाने के लिए राजस्व और पुलिस अधिकारियों की संयुक्त टीमों का गठन किया है।
41 वर्षीय मोहम्मद अशरफ, जो इलाके में एक कपड़े की दुकान चलाते हैं, उन्होंने कहा, “दशकों से यहां लगभग पांच-छह (मुस्लिम) परिवार रह रहे हैं, और उन्हें भी अब निशाना बनाया जा रहा है। वे हमें डराने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं। हमें व्यापार मंडल के व्हाट्सएप ग्रुप से भी हटा दिया गया है। हमें सुरक्षा देने के बजाय यहां तैनात पीएसी के जवान हमें अपना घर नहीं छोड़ने के लिए कह रहे हैं।”
अशरफ ने कहा, “मेरा परिवार 1978 में बिजनौर से पुरोला आया था। हमारी दुकान क्षेत्र में पहले कुछ में से एक थी। मेरे परिवार की तीन पीढ़ियां यहां रहती थीं, लेकिन हमने ऐसा पहले कभी नहीं देखा। मैं यहां पैदा हुआ। मैंने स्थानीय सरस्वती शिशु मंदिर में अध्ययन किया। यहां मेरे ज्यादातर दोस्त हिंदू हैं। हम इस जगह को नहीं छोड़ सकते।” जो लोग पहले ही जा चुके हैं उनमें खिलौने और क्रॉकरी के तीन व्यापारी, दो कपड़े की दुकान चलाने वाले, एक कार धोने वाला और एक मोबाइल मरम्मत की दुकान चलाने वाले शामिल है।
बीजेपी छोड़ देंगे जाहिद
अपनी कपड़े की दुकान बंद करने के बाद जाहिद ने कहा कि वह भाजपा छोड़ देंगे। उन्होंने दावा किया कि वह भाजपा के अल्पसंख्यक विंग के उत्तरकाशी जिला अध्यक्ष थे, लेकिन पार्टी के जिला अध्यक्ष सतेंद्र राणा ने यह कहते हुए इसका खंडन किया कि वर्तमान में पद खाली था और जाहिद कभी जिला महासचिव रह चुके थे।
पुरोला में अपना कारोबार बंद करने के फैसले पर जाहिद ने कहा, “28 मई को एक बड़ी रैली हुई थी, जिसमें कुछ लोगों ने मुस्लिमों की दुकानों के होर्डिंग और फ्लेक्स बोर्ड को तोड़ दिया था. उस समय मैं देहरादून आ गया। हमने सोचा कि हालात सामान्य होने तक कुछ दिन इंतजार कर लेते हैं। लेकिन तभी बड़कोट में एक और रैली हुई। चार दिन पहले हमने पुरोला छोड़ने का फैसला किया। मैं देहरादून के विकास नगर इलाके में किराए की दुकान ढूढूंगा।”