बिहार चुनाव के पहले चरण के मतदान में अब एक हफ्ते से भी कम का समय बचा है। ऐसे में सत्तासीन एनडीए और विपक्षी महागठबंधन प्रचार अभियान में तेजी दिखाते हुए एक-दूसरे के क्षेत्रों में सेंध लगाने की कोशिश में हैं। ऐसी ही एक सीट है बिहार की पालीगंज की। इस यादव बहुल सीट पर आमतौर पर यादव प्रत्याशी को फायदे की स्थिति में माना जाता है। इस बार भी इस सीट पर सीधी लड़ाई दो यादवों के बीच ही है, पर लोजपा के एक प्रत्याशी की वजह से इस सीट पर चुनावी समीकरण सबसे दिलचस्प होने वाले हैं।
बता दें कि 2015 में पालीगंज सीट से राजद के टिकट पर चुनाव जीतने वाले जयवर्धन यादव इस बार जदयू के टिकट पर चुनाव में लड़ रहे हैं। उनके सामने इस बार महागठबंधन के सौरव खड़े हैं, जो कि खुद भी एक यादव हैं और जेएनयू के छात्र रह चुके हैं। उन्हें महागठबंधन की साथी CPI (M-L) की तरफ से टिकट मिला है। ऐसे में सौरव को राजद और कांग्रेस का भी समर्थन हासिल है।
दूसरी तरफ इस बार एनडीए से अलग होकर नीतीश कुमार को रोकने के लिए चुनाव लड़ रही लोजपा ने इस बार पालीगंज सीट से भाजपा की पूर्व नेता को टिकट देकर जदयू की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। चिराग की पार्टी ने इस बार चुनाव के लिए भाजपा की बागी नेता ऊषा विद्यार्थी को टिकट दिया है, जो कि 2005 में इस सीट से हारने के बाद 2010 में जीत भी हासिल कर चुकी हैं। यानी इस क्षेत्र में उनका उच्च जाति और भूमिहार वोटर बेस अभी भी मजबूत है। ऐसे में जदयू को इस वर्ग से भी वोट मिलने की उम्मीद काफी कम हैं।
इतना ही नहीं भाजपा की पूर्व नेता होने की वजह से ऊषा विद्यार्थी को कैडर से भी अच्छा-खासा समर्थन हासिल है। ऐसे में माना जा रहा है कि वे एनडीए के कई वोट लोजपा कैंप में ले जाएंगी। भाजपा के एक कार्यकर्ता के मुताबिक, “वे (ऊषा) हमेशा से भाजपा में रही हैं। वहीं पालीगंज में किसी यादव उम्मीदवार का समर्थन करने का मतलब नहीं है, जबकि महागठबंधन का उम्मीदवार भी एक यादव ही है। पूरी भाजपा विद्यार्थी जी के साथ है।”
जदयू के लिए मुश्किल की स्थिति है, क्योंकि यादव बहुल इस सीट पर अगर यादव और पिछड़ी जातियां एकजुट होती हैं, तो अधिकांश वोट राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन को पड़ने का अनुमान है। महागठबंधन की ओर से सीएम उम्मीदवार घोषित किए जा चुके राजद प्रमुख तेजस्वी यादव पहले ही यादवों के नेता के तौर पर पहचाने जाते हैं।
जयवर्धन यादव के गांव हरिरामपुर में ही नरेश यादव नाम के व्यक्ति ने कहा कि वे तो पुरानी वफादारी के चलते जयवर्धन के लिए वोट करेंगे, लेकिन जयवर्धन के लिए यह चुनाव जीतना आसान नहीं होगा, क्योंकि इस सीट पर अगर यादव एकजुट हो गए, तो बाकियों के लिए मुश्किल होगी। यादव समुदाय के लोग तेजस्वी को मुख्यमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं।