उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में 2 जून को हुई अतिक्रमणकारियों और पुलिस की झड़प के दौरान मारे गए लोगों में से एक की पहचान अतिक्रमणकारियों के सरगना रामवृक्ष यादव के रूप में कराए जाने को चुनौती देते हुए उसके वकील ने दावा किया है कि पुलिस द्वारा बताया गया शव उनके मुवक्किल रामवृक्ष का नहीं था।

दूसरी ओर, पुलिस इस मामले में अपने निर्णय पर कायम है । उसका कहना है कि चूंकि रामवृक्ष के परिजन ने यहां आकर शव को पहचानने इनकार कर दिया था, इसलिए शव की पहचान के लिए उसके मित्र और कथित सत्याग्रह आंदोलन के उस साथी हरिनाथ सिंह को उसकी मृत अवस्था की तस्वीर दिखाई गई थी, जो झगड़े और मारपीट के मामले में पिछले महीने से जिला कारागार में बंद है । रामवृक्ष यादव की ओर से न्यायालय में एक याचिका दाखिल करने वाले मथुरा के वकील तरणी कुमार गौतम ने दावा किया है कि जवाहर बाग हिंसा के दौरान जिस शव की पहचान रामवृक्ष यादव के रूप में कराई गई है, वह सही नहीं है ।

उन्होंने पुलिस की शिनाख्त कार्यवाही पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि चूंकि वे उसकी ओर से वकील रहे हैं, इसलिए पुलिस को शिनाख्त के लिए उन्हें बुलाया जाना चाहिए था या फिर दिल्ली में रह रही उसकी बेटी को शिनाख्त का मौका दिया जाना चाहिए था । गौतम ने कहा कि चूंकि पुलिस ने ऐसा नहीं किया है इसलिए उन्हें संदेह है कि यह शव निश्चित रूप से रामवृक्ष यादव का न होकर, किसी अन्य व्यक्ति का रहा होगा ।