बिहार में भूमि विवाद कोई नया मुद्दा नहीं है। इसको लेकर वहां कई बार खूनखराबा तक हो चुका है, लेकिन इसके बावजूद राज्य में भूमि को लेकर विसंगतियां दूर होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। ताजा मामला औरंगाबाद जिले का है। यहां के गोह अंचलाधिकारी मुकेश शर्मा ने अंचल के डडवां ग़ांव के खाता संख्या 146 की 16.21 एकड़ जमीन को बेलगान घोषित कर चार लोगों के नाम करा दिया। दिलचस्प बात यह है कि इनके प्रस्ताव को डीसीएलआर ने बिना जांच कराए मंजूरी दे दी, जबकि संबंधित जमीन का लगान 2021-2022 तक का राधे प्रसाद सिंह के नाम से कटा हुआ है। उसकी मालगुजारी रसीद संख्या 092251 है।
जमीन मालिक राधे प्रसाद सिंह के पुत्र श्रीकांत शर्मा ने अंचलाधिकारी और कर्मचारी और भूमि सुधार उपसमाहर्ता दाउदनगर से मिल हैरत में डालने वाली, जानबूझ कर की गई इस गलती की ओर ध्यान दिलाया। पर गलती सुधार ही नहीं बल्कि इस ओर गौर करने को ही तैयार नहीं हुए। तब इन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, भू – राजस्व मंत्री रामसूरत राय, प्रधान सचिव, गया के आयुक्त,औरंगाबाद के जिलाधीश और एडीएम से न्याय की गुहार लगाई है। 5 जनवरी 2022 को भेजे अपने पत्र में उन्होंने लिखा है कि लगान वाली जमीन को बेलगान घोषित कर दूसरों के नाम लगान तय कर जमीन दे देने की बेजा कोशिश दर्शाती है कि मोटी रकम का लेनदेन हुआ है। जो कि आईपीसी की दफा 166 और 167 के तहत दंडनीय है।
श्रीकांत शर्मा मुख्यमंत्री के पैतृक जिला नालंदा के मूल वाशिंदें है। इनका ग़ांव चंडी अंचल के तहत वेलेछि है। ये फिलहाल झारखंड के देवघर ज़िले के कुंडा थाना के तहत हथगड ग़ांव में रहते है। इनकी पुश्तैनी जमीन औरंगाबाद के डडवां ग़ांव में भी है। और ये बीते साल से ही इस मामले को लेकर परेशान है। 30 दिसंबर 2020 को भूमि सुधार उपसमाहर्ता ने इनकी जमीन के बेलगान के सीओ के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इनसे मुलाकात देवघर में इस संवाददाता से हुई तो इन्होंने बिहार के सुशासन में किस तरह का जमीन के मामले में खेल चल रहा है बताया।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का आदेश है कि हर शनिवार को अंचलाधिकारी और थानेदार साथ बैठ जमीन विवाद निपटाएंगे। सरकार का मानना है कि बिहार में ज्यादातर हत्याएं जमीन को लेकर ही होती है। मगर जहां कर्मचारी अंचलाधिकारी, भूमि सुधार उपसमाहर्ता ही गड़बड़ी करें तो कौन सुनेगा। हालांकि श्रीकांत ने वहां के एडीएम आशीष कुमार को भी अपील के लिए दरखास्त बीते साल के अक्तूबर में ही दी है, मगर कोई सुनवाई कहीं नहीं है।
बताते है कि खाता संख्या 146 के प्लाट 1320, 1321,1322,1323,1324 का कुल रकबा 16.21 एकड़ जिन चार जनों के पक्ष में अंचलाधिकारी और कर्मचारी ने लगान तय की है, उनके नाम है– दाउदनगर के ग़ांव केसराड़ी की संगीता देवी, अवध बिहारी सिंह के पुत्र चितरंजन शर्मा, ब्रह्मदेव यादव के बेटे राजा यादव, लक्ष्मी सिंह के पुत्र रामनिवास शर्मा (तीनों ग़ांव डडवां के) है।
मुख्यमंत्री से न्याय की गुहार लगाते हुए पत्र में इस बात का उल्लेख है कि उपरोक्त जमीन पर पुश्तैनी यानी 1945 से कब्जा हैं। जमीन का लगान भी भुगतान किया जा रहा है। इसकी बाकायदा 2021- 2022 तक की लगान रसीद उनके पास उपलब्ध है। बावजूद कर्मचारी,अंचलाधिकारी गोह और डीसीएलआर ने जमीन को बेलगान घोषित कर दिया। इसकी जांच कर दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करने की मांग की है। उन्होंने बताया कि जरूरत पड़ी तो मुख्यमंत्री के जनता दरबार में भी शिकायत लेकर जाऊंगा।
इस मामले में गोह के अंचलाधिकारी मुकेश शर्मा ने यह कहा
22 जनवरी को गोह के अंचलाधिकारी मुकेश शर्मा से इस सिलसिले में बात हुई। उन्होंने बताया कि श्रीकांत शर्मा की पुश्तैनी जमीन का मामला पूर्व के अंचलाधिकारी अवधेश कुमार नेपाली से जुड़ा है। उनके कार्यकाल में दूसरे चार जनों के नाम लगानशुदा जमीन को बेलगान बताकर भूमि सुधार उपसमाहर्ता को प्रस्ताव भेजा गया था। मैंने इस बारे में कोई प्रस्ताव नहीं भेजा है। ऐसे भी यह क्षेत्र नक्सल प्रभावित रहा है। बहुत से जमीन मालिक अपनी जमीन छोड़ दूसरी जगह बस गए हैं। कई का कब्जा भी जमीन पर नहीं है। अब नक्सलियों का प्रभाव कम हुआ है तो जमीन मालिक सामने आ रहे हैं। श्रीकांत शर्मा उन्हीं में से एक हैं। ऐसे भी किसी से भूल हुई है तो एडीएम के पास अपील करने का प्रावधान है।