Know What Happen in Lulu Mall on 12th July: 12 जुलाई को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के लुलु मॉल का एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें कुछ लोग मॉल के भीतर नमाज पढ़ते हुए दिखाई दिए थे। इस वायरल वीडियो ने मॉल में नमाज पढ़ने को लेकर विवाद खड़ा कर दिया और नमाज पढ़ने वाले सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। और 29 जुलाई को इन आरोपियों को बेल भी मिल गई। अब हम उन सभी आरोपियों से उस दिन की घटना के बारे में बात करेंगे कि उन्होंने मॉल में नमाज क्यों पढ़ी जिसके बाद उन्हें गिरफ्तारी का सामना करना पड़ा।

गिरफ्तार किए गए आरोपियों में से एक मोहम्मद इरफान बताते हैं, ’12 जुलाई को हम सभी दोस्तों ने घूमने के लिए जाने का प्लान किया और हमने ओला कार बुक की और लुलु मॉल पहुंचे थे। वहां पहुंचकर हम लोग घूमे, टहले और मॉल के अंदर की दुकानों को देखा और थोड़ी देर बाद हम लोंगों ने वहां कुछ खाया-पिया भी। फिर मैंने देखा कि असरे की नमाज का वक्त होने वाला है और हम लोग फ्रेश होने के लिए अंदर गए, तो देखा वहां कुछ लोग वजू कर रहे हैं। मैंने वजू नहीं किया हम लोग भी उनके साथ ही बाहर चले आए। पहले हमने सोचा था कि कहीं नीचे या कोने में जमात बनाएंगे नमाज के लिए लेकिन हमने देखा वहीं बाहर ही जमात बना रहे हैं तो फिर मैंने भी वजू किया और उनके साथ नमाज पढ़ी।’

किसी ने नमाज पढ़ने पर नहीं दर्ज की आपत्ति

मोहम्मद इरफान ने आगे बताया, मैंने नमाज पढ़ने के लिए किसी इजाजत नहीं ली थी क्योंकि लोग नमाज पढ़ने जा रहे थे तो मैं भी उनके साथ बैठ गया। उनके दूसरे साथी मोहम्मद आदिल से जब पूछा गया कि किसी ने आप लोगों के नमाज पढ़ने पर आपत्ति दर्ज की थी वहां पर? तो उन्होंने बताया, ‘वहां पर किसी ने कोई आपत्ति नहीं की थी। वहां सब लोग नमाज पढ़ रहे थे तो हमने भी सोचा नमाज पढ़ ली जाए। उन्होंने बताया कि हम लोगों के अलावा वहां पर 4-5 लोग और भी थे।’

Social Media पर वीडियो आने के बाद घरवालों ने समझाया

वहीं उनके एक और साथी मोहम्मद सऊद से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया,’जब ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो हमने और हमारे घरवालों ने भी ये वीडियो देखा। घरवालों ने समझाते हुए कहा, घबराने की कोई बात नहीं है अगर तुम्हें बुलाएं तो चले जाना और जो बड़े कहें वो मान लेना।’ वहीं मोहम्मद इरफान ने बताया कि हमारे साथ नमाज पढ़ने वालों में से एक आदिल भाई को पुलिस ने उठा लिया तो फिर सुबह हमने भी ये तय किया कि हम सरेंडर कर देंगे क्योंकि वो हममें से एक थे जिन्होंने मॉल में नमाज पढ़ी थी।

नमाजी पक्ष के वकील ने बताया पूरा मामला कैसे मिली Bail

वहीं इस मामले में नमाज पढ़ने वाले युवकों का पक्ष रखने वाले वकील जीशान अल्वी ने बताया,’जो भी धाराएं इस मामले में लगाईं गईं हैं उनमें से किसी में भी 3 साल से ज्यादा की जेल का मामला नहीं बनता है और सीआरपीसी ये कहता है, किसी भी मामले में जिसमें 7 साल से कम की सजा हो उसमें गिरफ्तारी जरूरी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस बात की गाइडलाइन जारी की है।’ उन्होंने बताया कि पुलिस ने बिना नोटिस जारी किए हुए इन लोगों को गिरफ्तार किया जो कि गलत है। इसी आधार पर कोर्ट ने इन्हें जमानत दे दी।