जैविक खेती (Organic farming) के कई फायदें हैं और अब ये लोकप्रिय भी हो रहा है। इस प्रकार की खेती में रसायनों का उपयोग नहीं होता है। ऐसा ही एक मामला पंजाब के बरनाला (Barnala in Punjab) से सामने आया है। दरअसल एक परिवार 4 एकड़ जमीन में 40 से अधिक फसलें उगाता है और काफी मुनाफा भी होता है।

2017 में हरविंदर सिंह ने Organic farming की शुरुआत की

2017 में 38 वर्षीय हरविंदर सिंह जवंधा (Harwinder Singh Jawandha ) और उनके दो छोटे भाइयों (परमजीत और हरजिंदर सिंह) ने जैविक खेती करने का फैसला किया। इसके लिए उन्होंने अपने 13 एकड़ खेत में से 2 कनाल क्षेत्र को अलग कर दिया। 2018 में इस क्षेत्र को बढ़ाकर 3 एकड़ और बाद में 2020 में 4 एकड़ कर दिया गया।

शुरू में हुआ नुकसान

हरविंदर सिंह जवंधा ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा, ‘पहले दो साल में हमें नुकसान हुआ, लेकिन आखिरकार हमारी मेहनत रंग लाई। आज हम इस 4 एकड़ भूमि में जैविक तरीके से एक वर्ष में 40 से अधिक फसलें उगाते हैं और हम कभी भी अपनी उपज बेचने के लिए मंडी नहीं जाते हैं। खरीदार हमारे दरवाजे पर आते हैं।”

जवंधा भाइयों (Jawandha brothers) ने खेती में मुनाफा कमाने का मूल मंत्र बताते हुए कहा कि अपने खेत में उगाई हुई चीज को प्रोसेस करो और साल में सिर्फ दो फसल उगाकर उसे बेच दो। उन्होंने कहा कि इसे मंडी में बेचकर हम खेती को लाभ का सौदा नहीं बना सकते। हमें स्मार्ट सोचने की जरूरत है।

सामानों को पैक करके बेचा जाता है

हरविंदर सिंह ने कहा, “हम गन्ना उगाते हैं, लेकिन गुड़ और गुड़ पाउडर बनाकर ग्राहकों को बेचते हैं। हम हल्दी, मिर्च, सौंफ, धनिया आदि उगाते हैं, लेकिन हम ग्राहकों को हल्दी पाउडर, लाल मिर्च पाउडर, धनिया के बीज/पाउडर, अजवाइन, सौंफ आदि बेचते हैं। हम 3-4 तरह की दालें उगाते हैं और ये भी पैक करके बिक जाती हैं।”

जवंधा भाई अपने खेतों में मौसमी सब्जियां, ड्रैगन फ्रूट, अमरूद, अंजीर, आलूबुखारा, पपीता आदि भी उगाते हैं। ग्राहक परिवार से सब्जी, फल, मसाला, गेहूं, चावल आदि खरीदते हैं। हरविंदर सिंह ने कहा कि उनके खेत में सरसों की भी खेती की जाती है और सरसों का तेल ग्राहकों को बेचा जाता है।

परिवार ने Jawandha natural farms के बाहर एक ‘Kisan hut’ स्थापित किया है, जिसमें वे सभी खाद्य पदार्थ बेचते हैं। ‘Kisan hut’ केंद्र सरकार (central government) की कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी (ATMA) योजना के तहत स्थापित की गई है।

WhatsApp group से लोगों को जोड़ते हैं

हरविंदर सिंह ने कहा, “व्हाट्सएप ग्रुप (WhatsApp group) के माध्यम से कई ग्राहक हमारे साथ जुड़े हुए हैं और हम ग्रुप में अपनी खेती के वीडियो भेजते रहते हैं। यानी हम क्या बोते हैं और उत्पाद को कैसे बनाते/बेचते हैं आदि। हम गेहूं की पुरानी किस्मों को जैविक रूप से उगाते हैं और वे खेत के भीतर 40-45 रुपये किलो की रेंज में बेचे जाते हैं। अगर हम गेहूं का आटा बेचते हैं तो इसकी कीमत करीब 60-70 रुपये किलो है। हम काबुली चना और काले चने भी उगाते हैं। अब हम बेसन और बेसन के कुछ अन्य उत्पाद भी बनाने के बारे में सोच रहे हैं।”