केरल के पेरूम्बवूर में एक दलित महिला की हत्या की जांच कर रहे विशेष जांच दल ने इस बात की जांच के लिए उसके घर के समीप की एक दुकान से सीसीटीवी फुटेज हासिल किया है कि जिस दिन विधि की इस छात्रा की हत्या हुई थी सीसीटीवी कैमरे ने संदिग्ध हत्यारे की हरकत कैद की है या नहीं। मामले की जांच कर रहे एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘हमने इस उम्मीद में दुकान से सीसीटीवी कैमरे का ब्योरा हासिल किया है कि शायद उसमें संदिग्ध हत्यारे की कुछ तस्वीरें कैद हुई हो।’

अपनी पहचान उजागर नहीं करने की इच्छा व्यक्त करने वाले इन अधिकारी ने स्थानीय मीडिया की इन खबरों को तवज्जो नहीं दी कि पुलिस को मिले सीसीटीवी फुटेज में 28 अप्रैल की घटना से कुछ घंटे पहले संदिग्ध हत्यारा विधि की छात्रा का पीछा करते हुए दिख रहा है। इन खबरों के अनुसार उर्वरक डिपो से हासिल सीसीटीवी सबूत में टी शर्ट पहना हुआ एक व्यक्ति एक महिला का पीछा कर रहा है जिसके बारे में समझा जाता है कि वही विधि छात्रा थी और वह उस दिन दिन में करीब डेढ़ बरे पेरूम्बवूर के समीप वट्टोलिपाडी में बस से उतरने के बाद अपने घर जा रही थी।

अधिकारी से जब इस खबर के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘यह पक्का नहीं है कि फुटेज में दिख रहे लोगों का इस घटना से संबंध है या नहीं।’ इसी बीच उर्वरक डिपो के मालिक शिबू ने संवाददाताओं को बताया कि मामले की जांच कर रही पुलिस बुधवार को सीसीटीवी फुटेज का हार्डडिस्क ले गई।

केरल के नवनियुक्त पुलिस प्रमुख लोकनाथ बेहरा ने रविवार (5 जून) को 30 वर्षीय इस महिला के घर का दौरा करने के बाद कहा था कि इस अपराध में शामिल अपराधियों को पकड़ने के लिए वैज्ञानिक जांच शुरू की गई है। उन्होंने कहा था कि इस सनसनीखेज मामले की जांच अच्छी तरह आगे बढ़ रही है और अपराधियों को पकड़ने में कुछ वक्त लग सकता है।

इस मामले की जांच अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक बी संध्या की अगुवाई वाला एक दल कर रहा है। राज्य की नई एलडीएफ सरकार ने अपने शुरू के कुछ निर्णयों में से एक के तहत इस मामले की जांच के लिए वरिष्ठ महिला आईपीएस को नई टीम का प्रमुख नियुक्त किया था। केरल उच्च न्यायायल ने पिछले हफ्ते इस मामले की सीबीआई जांच के अनुरोध को खारिज कर दिया था और कहा था कि इस मामले में नया विशेष जांच दल बनाया गया है।

गरीब परिवार की महिला से 28 अप्रैल को उसी के घर में कथित रूप से बलात्कार किया गया था और धारदार हथियार से वार कर उसकी हत्या कर दी गई थी। यह हत्याकांड 16 मई के केरल विधानसभा चुनाव के प्रचार अभियान के दौरान चर्चा के केंद्र में था और राजनीतिक दलों ने जांच में सुस्ती तथा अपराधियों को पकड़ने में विफल रहने को लेकर यूडीएफ सरकार पर प्रहार किया था।