Kerala Assembly: केरल विधानसभा (Kerala Assembly) ने मंगलवार (13 दिसंबर, 2022) को विश्वविद्यालय कानून (संशोधन) विधेयक, 2022 पारित किया। इसके मुताबिक, राज्यपाल राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति नहीं होंगे। हालांकि, विपक्षी दल कांग्रेस ने एक शिक्षाविद को कुलाधिपति के रूप में नियुक्त करने पर आपत्ति जताई और सुझाव दिया कि सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश को चांसलर के पद पर नियुक्त किया जाना चाहिए।
केरल के कानून मंत्री पी राजीव ने 7 दिसंबर को विधानसभा में एक संशोधन पेश किया था, जिसके मुताबिक, चांसलर का फैसला तीन सदस्यीय समिति द्वारा किया जा सकता है, जिसमें मुख्यमंत्री, विपक्ष के नेता और अध्यक्ष शामिल हैं।
विधानसभा में पेश किए गए संशोधन विधेयक के अनुसार, “सरकार कृषि और पशु चिकित्सा विज्ञान, प्रौद्योगिकी, चिकित्सा, सामाजिक विज्ञान, मानविकी, साहित्य, कला, संस्कृति, कानून या लोक प्रशासन सहित विज्ञान के किसी भी क्षेत्र में उच्च ख्याति प्राप्त शिक्षाविद या प्रतिष्ठित व्यक्ति की नियुक्ति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति के रूप में करेगी।” कुलाधिपति की नियुक्ति पांच वर्ष की अवधि के लिए की जाती है और कुलाधिपति के रूप में नियुक्त व्यक्ति एक या एक से अधिक शर्तों की पुनर्नियुक्ति के लिए पात्र होगा। कुलाधिपति सरकार को लिखित रूप में एक सूचना देकर अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं। विधेयक को विषय समिति के विचार के लिए भेजा गया है।
केरल विवि पर कमान को लेकर सरकार और गवर्केनर के बीच लंबे समय से गतिरोध चल रहा था। वामपंथी सरकार के मुखिया के तौर पर पिनरई विजयन लगातार गवर्नर के उन फैसलों को विरोध कर रहे थे, जो विवि की नियुक्तियों में दखल देते थे। राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान इसे लेकर खासे तल्ख भी दिखे। जब उन्हें पता चला कि राज्यपाल की शक्तियों में कटौती करने और कुलाधिपति का पद राज्यपाल से छीनने के लिए विधेयक लाया जा रहा है तो उनका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला है कि अगर राज्य का कानून यूजीसी के नियमों के प्रतिकूल है, तो यूजीसी का ही नियम लागू होगा। यूजीसी के नियम के खिलाफ राज्य में कानून नहीं बन सकते।
उनका कहना था कि यूजीसी के नियम इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए बनाए गए हैं कि राज्यपाल विश्वविद्यालयों का चांसलर है। उनका कहना था कि सरकार इस तरह का कदम उठा रही है क्योंकि वे पूरी तरह सेहताश है। वो जिन ममलों में दखल देते हैं वो बेहतरी के लिए होते हैं। उनका कोई निजी एजेंडा नहीं है।
