महाराष्ट्र, हरियाणा की तरह से कर्नाटक का राज्यसभा चुनाव भी रोचक होता जा रहा है। कर्नाटक में चार राज्यसभा सीटों के लिए वोट डाले जाने हैं। बीजेपी ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ अभिनेता से नेता बने जग्गेश को मैदान में उतारा था। संख्या बल के हिसाब से बीजेपी आराम से दोनों सीटें जीतने की स्थिति में है। लेकिन राजनीति में उस वक्त ट्विस्ट आया जब बीजेपी ने तीसरे उम्मीदवार के तौर पर निवर्तमान एमएलसी लहर सिंह सिरोया को उतारा दिया। कभी एक दूसरे की हमकदम रहीं जनता दल (एस) और कांग्रेस की राहें फिलहाल अलग होती दिख रही हैं। दोनों ने अपने-अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं। बीजेपी को लग रहा है कि ये स्थिति मुफीद है।

चुनाव में जनता दल (सेक्युलर) से डी कुपेंद्र रेड्डी को उम्मीदवार बनाया गया है। उधर कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश और कर्नाटक प्रदेश महासचिव मंसूर अली खान को उम्मीदवार बनाया है। दो सीटों पर बीजेपी आसानी से जीत दर्ज करती दिख रही है। एक सीट कांग्रेस निकाल लेगी। लेकिन चौथी सीट को लेकर कांटे की टक्कर होती दिख रही है। चौथी सीट पर बीजेपी के लहर सिंह सिरोया, कांग्रेस के मंसूर अली खान और जेडीएस के कुपेंद्र रेड्डी के बीच टक्कर देखी जा सकती है। 224 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 70 व बीजेपी के 121 विधायक हैं। जबकि जद (एस) के 32 विधायक हैं। चौथी सीट के लिए कांग्रेस के पास अतिरिक्त 25, जद (एस) के पास 32 व बीजेपी के पास 31 वोट बचते हैं। यानि क्रॉस वोटिंग होगी।

चौथी सीट पर जीत के लिए किसी भी दल के पास पर्याप्त मत नहीं हैं लेकिन भाजपा और कांग्रेस के अतिरिक्त उम्मीदवार के मैदान में उतारने के कारण चुनाव की स्थिति बन गई है। सोमवार को कांग्रेस के दूसरे उम्मीदवार के नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद भाजपा ने तीसरे उम्मीदवार को उतारने की घोषणा कर दी। दोनों दलों के अतिरिक्त उम्मीदवार उतारने से जनता दल (एस) की मुश्किलें बढ़ गई हैं। साथ ही क्रॉस वोटिंग को लेकर भी उसकी चिंता बढ़ गई है। कुल मिलाकर कुपेंद्र रेड्डी की राह आसान नहीं दिख रही।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस ने रविवार को सिर्फ पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश को ही फिर से टिकट देने की घोषणा की थी लेकिन जीत के लिए आवश्यक संख्या बल नहीं होने के बावजूद सोमवार को कांग्रेस ने राज्यसभा के पूर्व उपसभापति के. रहमान खान के बेटे और प्रदेश महासचिव मंसूर अली खान को भी दूसरे उम्मीदवार के तौर पर उतार दिया। कांग्रेस के फैसले के बाद सोमवार देर रात भाजपा ने सिरोया को तीसरे उम्मीदवार के तौर पर उतारने की घोषणा कर दी। सिरोया का विधान परिषद सदस्य के तौर पर दूसरा कार्यकाल अगले सप्ताह समाप्त हो रहा है। भाजपा ने विधानसभा से परिषद की सात सीटों के लिए हुए चुनाव में सिरोया को टिकट नहीं दिया था। प्रदेश समिति ने राज्य सभा चुनाव के लिए सिरोया के नाम की सिफारिश की थी।

राज्यसभा चुनाव में विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों को ही मतदान का अधिकार होता है। मौजूदा संख्या बल के हिसाब से भाजपा के 4 और कांग्रेस के एक उम्मीदवार की जीत के बाद भी दोनों दलों के पास अतिरिक्त मत होंगे। चुनाव में हर उम्मीदवार को जीत के लिए कम से कम 45 मतों की जरूरत होगी। कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार का कहना है कि तीनों ही दलों के पास पर्याप्त संख्या नहीं है। पिछली बार हमने सम्मान करते हुए जद (एस) उम्मीदवार और पूर्व प्रधान मंत्री एचडी देवगौड़ा के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारा था। इस बार उन्हें हमारा समर्थन करना चाहिए था।