कर्नाटक में एक लिंगायत धर्मगुरु ने प्रदेश की भाजपा सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है। धर्मगुरु का कहना है कि मठों को मिलने वाला अनुदान सरकार 30 फीसदी कमीशन लेने के बाद ही स्वीकृत करती है। यह आरोप तब लगाए गये हैं जब हाल ही में कर्नाटक के एक कांट्रेक्टर ने राज्य सरकार पर प्रोजेक्ट के लिए 40 फीसदी कट मनी मांगने का आरोप लगाया था।
लिंगायत धर्मगुरु डिंगलेश्वर स्वामी ने बयान में कहा कि “यह हर कोई जानता है कि क्या चल रहा है। यदि अनुदान स्वामी जी (मठ) को दिया जाना है तो वह 30 फीसदी कमीशन देने के बाद ही संभव है।”
बोम्मई सरकार पर उठ रहे सवाल: कर्नाटक की भाजपा सरकार पर सवाल तब उठने शुरू हो गए, जब उडुपी के एक कांट्रेक्टर प्रदेश सरकर में मंत्री केएस ईश्वरप्पा पर प्रताड़ना और कमीशनखोरी का आरोप लगाकर आत्महत्या कर ली थी। शुरुआत में केएस ईश्वरप्पा ने अपना इस्तीफा देने से मना कर दिया था। लेकिन बाद में बीते शुक्रवार मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई को ईश्वरप्पा ने अपना इस्तीफा सौंप दिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि “मैंने इस्तीफा देने का फैसला किया क्योंकि मैं उन लोगों को असहज स्थिति में नहीं डालना चाहता जिन्होंने मुझे इस पद तक पहुंचने में मदद की”
ईश्वरप्पा के खिलाफ दर्ज एफआईआर: कांट्रेक्टर संतोष पाटिल की आत्महत्या के मामले में कर्नाटक पुलिस की ओर से ईश्वरप्पा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है। इस एफआईआर को संतोष के भाई प्रशांत पाटिल ने दर्ज कराया है। इस एफआईआर में ईश्वरप्पा और उनके स्टाफ मेंबर्स रमेश और बसवराज को आरोपी बनाया गया है।
गौरतलब है कि संतोष 12 अप्रैल को उडुपी के एक लॉज में मृत पाया गया था। उसने मरने पहले अपने सभी दोस्तों को एक वॉट्सऐप मैसेज भेजा था जिसमें उसने आत्महत्या के लिए ईश्वरप्पा को दोषी बताया था। वॉट्सऐप मैसेज में लिखा था “मेरी मौत के लिए ईश्वरप्पा जिम्मेदार है। उसे दंडित किया जाना चाहिए। मैंने अपनी सभी इच्छाओं को दबा दिया है और यह कर रहा हूं। मैं पीएम, सीएम और येदियुरप्पा से मेरे परिवार की देखभाल करने का अनुरोध करता हूं”।
कुछ हफ्तों पहले पाटिल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखा था, जिसमें ईश्वरप्पा पर आरोप लगाया गया था कि वह उनके बकाया बिल का भुगतान नहीं कर रहे हैं। इसके साथ उन्होंने पत्र में भाजपा नेता पर झूठ बोलने, भ्रष्टाचार और अनिमियत्ता बरतने के आरोप लगाएं।