कर्नाटक के पूर्व डिप्टी सीएम और वरिष्ठ कांग्रेस नेता जी. परमेश्वर ने कहा है कि एक बार उन्हें दलित होने के कारण मंदिर में एंट्री नहीं दी गई थी। उनके इस बयान के बाद से राज्य की राजनीति में हलचल मच गई है।
कांग्रेस नेता जी. परमेश्वर ने समाज में मौजूद असमानता पर अफसोस जताते हुए दावा किया कि पीएचडी योग्यता और विधायक पद पर बने रहने के बावजूद उन्हें मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया गया था। उन्हें सिर्फ इसलिए रोका गया क्योंकि वो दलित हैं। परमेश्वर ने ये दावा अंबेडकर जयंती के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए किया।
उन्होंने कहा- “मैंने पीएचडी की है, डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है, विदेशों में गया हूं, लेकिन मुझे मंदिर के अंदर जाने की अनुमति नहीं थी। मैं विधायक रहा हूं, मंत्री रहा हूं, इस राज्य में नंबर दो (डिप्टी सीएम) था, लेकिन मुझे अनुमति नहीं थी मंदिर के अंदर…उन्होंने मुझे रोका और वहीं पर वो मंगल-आरती लेकर आए।”
आगे उन्होंने कहा कि उन्हें रोकने के लिए मंगल आरती को बाहर लाया गया था, ताकि वो मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकें। कांग्रेस नेता ने कहा कि आज भी ऐसी घटनाएं हो रही हैं, समाज में ऐसा सिस्टम आज भी है, जो अफसोसजनक है। उन्होंने कहा कि इस तरह के कई मामले हैं।
अपने संबोधन के दौरान कांग्रेस नेता ने कहा कि सोचिए अगर बाबा साहब ने ऐसा संविधान नहीं बनाया होता और उसके जरिए आरक्षण नहीं मिला होता तो दलितों की स्थिति क्या होती? क्या आज जिस तरह से हम जीवन जी रहे हैं, उसके बिना जी रहे होते?
उन्होंने आरोप लगाते हुए आगे कहा- “एक कुत्ता भी तालाब में जाकर पानी पी सकता है, लेकिन दलित तालाब या तालाब के पानी को नहीं छू सकता, ऐसी व्यवस्था आज भी मौजूद है…ऐसे कई मामले हैं…।”
बता दें कि परमेश्वर, एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन सरकार के दौरान उपमुख्यमंत्री थे। वह कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं। उन्होंने एडिलेड विश्वविद्यालय के वाइट एग्रीकल्चर रिसर्च सेंटर से प्लांट फिजियोलॉजी में पीएचडी की है।