“Karnataka Election Results 2018” कर्नाटक के गर्वनर वजूभाई वाला ने भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के लिए बुलाया है। इसी के साथ ही भाजपा ने विरोधी खेमे के उन विधायकों के समर्थन की कोशिशें शुरू कर दी हैं जो लिंगायत समुदाय से आते हैं और कांग्रेस—जनता दल सेक्युलर गठबंधन से नाराज हैं। बीजेपी का निशाना एचडी कुमार स्वामी पर भी होगा, जो वोक्कालिंगा समुदाय से आते हैं और जिन्हें कांग्रेस मुख्यमंत्री बनाना चाहती है।
कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर के कई लिंगायत विधायक येदियुरप्पा के खेमे में सिर्फ वोक्कालिंगा बनाम लिंगायत विवाद के कारण ही शामिल हो सकते हैं। कर्नाटक में लिंगायत समुदाय को सबसे बड़ा वोटर समुदाय माना जाता है। ये समुदाय परंपरागत रूप से भाजपा का समर्थक माना जाता है। 2018 के चुनावों में भी इस समुदाय ने भाजपा को समर्थन दिया है। लिंगायतों ने धार्मिक अल्पसंख्यक बनाने के कांग्रेस के दांव को नकार दिया है। इसके बाद उन्होंने अपने नेता येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री बनाने के लिए वोट दिया है।
वोक्कालिंगा और लिंगायत समुदाय साल 2007 से ही एक—दूसरे के विरोध में हैं। ये एचडी कुमार स्वामी के मुख्यमंत्री की कुर्सी को नकारने के बाद शुरू हुआ था। भाजपा ने कुमार स्वामी से साझा सरकार बनाने के लिए समर्थन मांगा था। लेकिन कुमार स्वामी ने इससे इंकार कर दिया था। भाजपा फिलहाल तीन—चार अन्य विधायकों के समर्थन की तलाश में है, जो येदियुरप्पा को विधानसभा में विश्वास मत हासिल करने में मदद कर सकें।
भाजपा का तर्क है कि जनादेश कांग्रेस के खिलाफ है, जबकि जनता दल सेक्युलर तीसरी पार्टी के रूप में चुनाव लड़ी थी। भाजपा नेताओं ने साफ कहा है कि करीब 60 सीटें पाने वाली पार्टी 100 से ज्यादा सीटों पर जीतने वाली पार्टी को इस आधार पर सत्ता से बाहर नहीं कर सकती क्योंकि उसके पास आठ सीटें कम हैं।
भाजपा नेताओं ने याद दिलाया कि कैसे सन 1996 में गुजरात में भाजपा की सरकार को गिराकर शंकर सिंह वाघेला को कांग्रेस ने मुख्यमंत्री बनाया था। लेकिन वह सरकार लंबे वक्त तक नहीं चली थी। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा,’कांग्रेस को जनादेश और लोगों की इच्छाओं का सम्मान करना चाहिए। सीएम सिद्धारमैया को शर्म आनी चाहिए, उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी पर बिना किसी सबूत के कर्नाटक में विधायकों की खरीद—फरोख्त करने का बेबुनियादी आरोप लगाया है।’