भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और कर्नाटक से विधायक एएच विश्वनाथ ने सांप्रदायिक मुद्दों को उठाने के लिए श्रीराम सेना प्रमुख प्रमोद मुतालिक पर हमला बोला है। साथ ही उन्होंने मुतालिक के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लेने के लिए राज्य सरकार को भी निशाने पर लिया है। उन्होंने कहा कि इस तरह के लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई ना करके कर्नाटक सरकार लोगों को गलत संकेत दे रही है। उन्होंने यह भी साफ किया कि राज्य सरकार का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिंदू परिषद से कोई संबंध नहीं है।
सोमवार (25 अप्रैल, 2022) को मैसूर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में विश्वनाथ ने कहा, “मुतालिक कौन है जो सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील बयानबाजी करता है? यह एक त्रासदी है कि राज्य सरकार ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने में सक्षम नहीं है। सरकार का आरएसएस या विहिप से कोई लेना-देना नहीं है।” उन्होंने कहा कि सरकार की निष्क्रियता लोगों को गलत संकेत देगी।
इससे पहले विश्वनाथ ने मुस्लिम व्यापारियों को मंदिर उत्सवों में भाग लेने से रोकने के लिए राइट-विंग संगठनों की आलोचना की थी। उन्होंने विहिप, हिंदू जागरण वेदिक, बजरंग दल और श्रीराम सेना सहित अन्य समूहों की इस मांग का विरोध किया था। बीजेपी सरकार ने साल 2002 में कांग्रेस के कार्यकाल के एक नियम का हवाला देते मुस्लिमों के मंदिरों में दुकान लगाने पर प्रतिबंध को सही ठहराया था। यह नियम मंदिर परिसर में गैर-हिंदुओं द्वारा दुकानें लगाने पर रोक लगाता है।
विश्वनाथ ने इस कदम को अलोकतांत्रिक करार दिया था। उन्होंने कहा था, “यह सब पागलपन है। कोई भी ईश्वर या धर्म इस तरह की बातों का प्रचार नहीं करता है। राज्य सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए। मुझे नहीं पता कि सरकार इस मुद्दे पर चुप क्यों है।”
उन्होंने कहा कि कितने सारे भारतीय लोग मुस्लिम देशों में जाकर काम करते हैं, अगर वे हमारे खिलाफ कार्रवाई करने का फैसला करें तो क्या होगा। उन्होंने कहा कि भारत में रहने वाले हर धर्म के लोग भारतीय हैं। विभाजन के समय मुसलमान जिन्ना के साथ नहीं गए बल्कि उन्होंने भारत में रहने का विकल्प चुना। वे भी भारतीय हैं उनकी राष्ट्रीयता अलग नहीं है। विश्वनाथ कांग्रेस के पूर्व मंत्री और जद (एस) के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष हैं। उन्होंने 2019 में बीएस येदियुरप्पा को कर्नाटक में सत्ता में आने में मदद करने के लिए भाजपा का दामन थाम लिया था। वे एक उपन्यासकार भी हैं जो कन्नड़ भाषा में लिखते हैं। 2013 से 2018 तक पार्टी की सत्ता में रहने के दौरान साथी ओबीसी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की सरकार गिरने के बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी थी।