भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पर आदर्श चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए कांग्रेस की कर्नाटक इकाई ने ध्रुवीकरण का भी आरोप लगाया है। राज्य में कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष दिनेश गुंडू राव ने शुक्रवार (30 मार्च, 2017) को मांग की कि शाह को राज्य बदर किया जाए। दरअसल शाह पर आरोप है कि भाजपा के एक कार्यकर्ता की मौत के बाद उसके परिवार को कथित तौर पर पांच लाख रुपए देकर उन्होंने आचार संहिता का उल्लंघन किया। कांग्रेस के दावों को खारिज करते हुए भाजपा ने कहा है कि शाह ने पार्टी कार्यकर्ता राजू के परिवार को कोई पैसा नहीं दिया। राव ने यहां पत्रकारों को बताया, ‘अमित शाह को कर्नाटक नहीं आना चाहिए क्योंकि उनकी मंशा बहुत साफ है- चुनावी माहौल को दूषित करना और कानून का उल्लंघन करना। आज की घटना इसका बेहतरीन उदाहरण है।’ चुनाव की तारीखें घोषित होने के बाद राजू के परिवार से मिलने को लेकर राव ने कहा, ‘मुलाकात के दौरान परिवार को पांच लाख रुपए दिए गए थे…. यह साफ है, क्योंकि मां( राजू की मां) ने बयान दिया है कि उन्हें पांच लाख रुपए दिए गए।’

मार्च 2016 में भाजपा कार्यकर्ता राजू की मैसूर में हत्या हो गई थी जिससे इलाके में तनाव पैदा हो गया था। इसे साफ तौर पर आचार संहिता के उल्लंघन का मामला करार देते हुए राव ने कहा, ‘यह एक गंभीर अपराध है, क्योंकि उन्होंने चुनावों के दौरान धन दिया है। मुझे यह भी सूचना मिली है कि मीडिया पर नियंत्रण की कोशिशें हुई हैं।’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस चुनाव अधिकारियों के समक्ष इस बाबत शिकायत दाखिल करेगी। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को अमित शाह को कर्नाटक आने से रोकना चाहिए। राव ने आगे कहा, ‘…. उनकी दुर्भावनापूर्ण मंशा, चालबाजियां, गैर- कानूनी गतिविधियां दिखाती हैं कि वह अपराधी जैसा बर्ताव कर रहे हैं।’ शाह और येदियुरप्पा के अतीत में जेल जाने की तरफ इशारा करते हुए राव ने कहा कि चुनाव आयोग को येदियुरप्पा के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। अमित शाह को राज्य बदर करना चाहिए।

वहीं कांग्रेस ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि वह न्यायपालिका की आजादी में दखल देने का ‘काफी खतरनाक खेल’ खेल रही है। पार्टी ने उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे. चेलमेश्वर की ओर से भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा को वह पत्र लिखे जाने के बाद मोदी सरकार पर हमला बोला है, जिसमें न्यायपालिका और सरकार की बढ़ती करीबी को लेकर आगाह किया गया है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के संचार प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही भारत की न्यायपालिका की आजादी पर हमले हो रहे हैं।’

यहां पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में सुरजेवाला ने कहा, ‘न्यायपालिका को अधीन करना, उसकी आजादी का दमन करना और प्रधानमंत्री मोदी की ओर से सत्ता की परोक्ष कवायद के द्वारा जजों के चयन एवं नियुक्ति के उनके संवैधानिक अधिकार को मटियामेट करना मोदी सरकार का डीएनए रहा है।’ प्रधान न्यायाधीश को लिखे गए एक अभूतपूर्व पत्र, जिसकी प्रतियां 21 मार्च को उच्चतम न्यायालय के 22 अन्य न्यायाधीशों को भी भेजी गई, में न्यायमूर्ति चेलमेश्वर ने कहा था कि न्यायपालिका और सरकार के बीच किसी तरह की ‘करीबी’ लोकतंत्र की ‘मौत की घंटी’ है।

सुरजेवाला ने संसद में गतिरोध के लिए भी मोदी सरकार पर निशाना साधा और कहा कि यह सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा नहीं होने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि सदन नहीं चलने देकर प्रधानमंत्री और उनकी सरकार संसद जैसी महान संस्था का दुरुपयोग कर रहे हैं। सीबीएसई परीक्षा- पत्र लीक के मुद्दे पर सरकार को आड़े हाथ लेते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के कार्यकाल में परीक्षा माफिया फल- फूल रहा है।