तमिलनाडु को 15000 क्यूसेक पानी दिए जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ सोमवार को कर्नाटक में किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया। यहीं नहीं हाई-वे भी बंद कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार को 15 हजार क्यूसेक पानी 10 दिन तक तमिलनाडु को देने का निर्देश दिया है, जिसके चलते किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे कावेरी हरोता समिति ने मंगलवार को बंद बुलाया। प्रदर्शनों के चलते मांड्या जिला लगभग बंद हो गया है। सरकार ने 700 बसों को सड़कों से हटा लिया गया है। स्कूल और सरकारी प्रतिष्ठानों को भी बंद कर दिए गए हैं।
कावेरी राजनीति का केंद्र माना जाने वाला मांड्या जिले में प्रदर्शनकारियों ने रोड बंद करके जगह-जगह विरोध प्रदर्शन किया। कावेरी बेल्ट में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सैकड़ों की संख्या में सुरक्षाबलों को तैनात किया गया है। प्रदर्शनकारियों ने बेंगलुरु-मैसूर हाई-वे को बंद कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद मामला गरमा गया है जिसके बाद 9 सितंबर तक केआरएस रिजर्व वायर और वृंदावन गार्डन को टूरिस्टों के लिए बंद कर दिया गया है।
सोमवार को तमिलनाडु सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार को कावेरी नदी का 15 हजार क्यूसेक पानी 10 दिन तक प्रतिदिन छोड़ने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने तमिलनाडू सरकार से कहा है कि वह निगरानी समिति के पास जाएं और कमेटी दस दिन के भीतर फैसला ले। सोमवार को कर्नाटक ने कहा कि वह 10 हजार क्यूसिक पानी देने को तैयार है लेकिन तमिलनाडू ने कहा कि उसे 20 हजार क्यूसिक पानी चाहिए वरना फसल खराब हो जाएगी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश जारी किया है। मामले की सुनवाई 16 सितंबर को होगी।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लेकर सर्वदलीय बैठक बुलाी है। मीटिंग आज शाम को होने की उम्मीद है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कॉपी का इंतजार कर रहे हैं। एक बार हम जांच कर ले और सभी पार्टियों के साथ चर्चा करके फैसला लेंगे। कर्नाटक सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी उनके पास अपने राज्य और तमिलनाडु दोनों के लिए पर्याप्त पानी है।
Cauvery Water Dispute: Karnataka Farmers… by Jansatta

