कर्नाटक में भाजपा सत्ता में वापस आने (BJP government in Karnataka) के लिए पूरी ताकत लगा रही है। लेकिन पार्टी का प्रदर्शन इन पांच जिलों पर काफी हद तक निर्भर करेगा, जहां हिंदुत्व (Hindutva factor) का बोलबाला है। 2013 के विधानसभा चुनावों में दक्षिण कन्नड़ (Dakshina Kannada) जैसे जिलों में हिंदुत्व कैडर की सबसे बड़ी शिकायत थी कि बीजेपी ने इस मुद्दे को नहीं उठाया था, जहां हिंदुत्व की राजनीति का अधिक असर है। बीजेपी ने गौहत्या, धर्मांतरण, लव जिहाद और हिंदू संस्कृति के संरक्षण जैसे मूल हिंदुत्व मुद्दे को नहीं उठाया था।

हिंदू जागरण वैदिक और वीएचपी जैसे संघ परिवार से जुड़े समूहों के नेताओं ने खुलेआम 2013 में बीजेपी नेताओं की आलोचना की थी। इसका परिणाम ये था कि हिंदुत्व के प्रभाव वाले पांच जिलों (उत्तर कन्नड़, शिवमोग्गा, उडुपी, चिकमंगलूर और दक्षिण कन्नड़) में 2008 में 31 सीटों में से 19 सीटों पर जीत हासिल करने वाली भाजपा ने 2013 में केवल पांच सीटें जीतीं थीं।

इसके बाद बीजेपी ने वापसी की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के नेतृत्व में बीजेपी ने 2018 में 31 में से 26 सीटें जीतीं।2023 के विधानसभा चुनावों में भाजपा भले ही बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोपों से जूझ रही हो, लेकिन उसने राज्य में गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने के लिए कानून पारित करके और धार्मिक गतिविधियों पर अंकुश लगाकर अपने हिंदुत्व वोट आधार को खुश रखने की कोशिश की है। इसके अलावा तथाकथित लव जिहाद, धर्मांतरण और अंतर-धार्मिक विवाह मुद्दों पर भी पार्टी ने ध्यान दिया है।

कर्नाटक पशु वध रोकथाम अधिनियम फरवरी 2020 में पारित किया गया था, जब बी एस येदियुरप्पा ने भाजपा सरकार का नेतृत्व किया था। यह “गाय के बछड़े, बैल और भैंस के वध पर प्रतिबंध लगाता है। कानून के उल्लंघन के लिए अदालती वारंट के बिना गिरफ्तारी की जा सकती है, जिसमें अब तीन से सात साल की जेल की सजा, 50,000 रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। यह कानून स्वयंभू गो रक्षकों को भी संरक्षण प्रदान करता है, जो अक्सर हिंदुत्व समूहों के संरक्षण में अवैध पशु तस्करों को निशाना बनाते हैं।

वहीं विपक्षी दलों और अल्पसंख्यक समूहों के विरोध के बावजूद कर्नाटक धर्म की स्वतंत्रता संरक्षण अधिनियम, 2022 (The Karnataka Protection of Freedom of Religion Act, 2022) को पिछले साल पारित किया गया था। इसमें कट्टर हिंदुत्व समूहों की दो प्रमुख मांगों (धर्म परिवर्तन पर प्रतिबंध लगाना और अंतर-धार्मिक विवाहों का नियमन) को शामिल किया गया है।

वहीं इस कानून को लेकर सीएम बसवराज बोम्मई (CM Basavaraj Bommai) ने कहा था, “धर्म परिवर्तन समाज के लिए अच्छा नहीं है। धर्मांतरण समाज के गरीब और कमजोर वर्गों को फंसाता है।” जाहिर है बीजेपी इन मुद्दों पर बात करके दक्षिण कन्नड़ के जिलों में अपनी स्थिति को और मजबूत कर रही है, ताकि विधानसभा चुनाव के परिणाम पार्टी के पक्ष में हो।