कर्नाटक (Karnataka) में चुनाव होने वाले हैं और हाल के दिनों में भाजपा की कोर टीम (BJP Core Team Meeting) की बैठक हुई थी। यह बैठक कई दौर में हुई थी और काफी चर्चाओं में रही। दरअसल कर्नाटक भाजपा प्रदेश अध्यक्ष नलिन कुमार कतील (Karnataka BJP State President Nalin Kumar Kateel) ने चुनाव को टीपू सुल्तान बनाम वी डी सावरकर (Tipu Sultan vs VD Savarkar) की ओर ले जाना चाहा है। इस मुद्दे को लेकर पार्टी के नेताओं के बीच में ही मतभेद शुरू हो गया है।
पार्टी की कर्नाटक इकाई के एक वर्ग का कहना है कि टीपू सुल्तान के आसपास पार्टी के प्रचार अभियान को केंद्रित करना दक्षिण भारत में सही नहीं है। वहीं एक वर्ग का मानना है कि यह स्मार्ट फॉर्मूला है।
पार्टी के एक नेता ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा कि कर्नाटक एक संवेदनशील राज्य है। उन्होंने कहा, “मुझे नहीं लगता कि एक ही मुद्दे का पूरे कर्नाटक में प्रभाव हो सकता है। टीपू कथा का तटीय कर्नाटक के कुछ हिस्सों और पुराने मैसूरु क्षेत्र में कुछ कमजोर प्रभाव हो सकता है।” कर्नाटक चुनाव से पहले टीपू सुल्तान एक बार फिर विवादों में है।
उन्होंने कहा, “कर्नाटक में मतदाताओं को मोदी जी (Prime Minister Narendra Modi) के नाम पर भाजपा की ओर खींचा जा सकता है क्योंकि वे वास्तव में महसूस करते हैं कि वह देश को आगे ले जा रहे हैं।” लेकिन कर्नाटक के एक बीजेपी सांसद (BJP MP) ने कहा कि कई निर्वाचन क्षेत्रों में समर्थन हासिल करने के लिए प्रदेश अध्यक्ष की रणनीति पार्टी के लिए फायदेमंद हो सकती है। उन्होंने कहा, “निश्चित रूप से यह हमारा मुख्य अभियान नहीं हो सकता। लेकिन टीपू को कन्नडिगा नायकों के खिलाफ खड़ा करना एक चतुर फॉर्मूला है।”
विवादित बयान देने वाले बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष कतील ने हाल ही में कई बार टीपू सुल्तान का जिक्र किया है। बुधवार को कोप्पल जिले के येलबुर्गा (Yelburga in Koppal district) में एक रैली में बोलते हुए नलिन कतील ने लोगों से टीपू सुल्तान समर्थकों को जंगल में खदेड़ने के लिए कहा, क्योंकि उनके अनुसार केवल राम के भजन करने वालों को इस भूमि पर रहना चाहिए।