कर्नाटक में कांग्रेस और जद (एस) की गठबंधन सरकार को आपसी फूट के चलते काफी परेशानी उठानी पड़ रही हैं। दरअसल कांग्रेस के कई नेताओं ने मंत्री पद की मांग करते हुए बगावत कर दी है। अब ऐसे में नेताओं की इस बगावत को रोकने के लिए वरिष्ठ नेताओं ने बागी नेताओं को मंत्री पद देने का फैसला किया है। हालांकि पार्टी नेताओं के इस फैसले ने परेशानी को और बढ़ा दिया है। इसकी वजह ये है कि पार्टी के प्रति वफादार नेता इससे नाराज हो गए हैं। उनका कहना है कि पार्टी का बागी नेताओं को मंत्री पद देने का फैसला बिल्कुल गलत है। वहीं इसके बाद पार्टी के कुछ वफादार नेताओं ने भी सरकार में मंत्री पद पर दावा पेश कर दिया है।

कांग्रेस नेताओं का कहना है कि जब बागियों को मंत्री पद दिया जा रहा है तो फिर उन्हें मंत्री पद क्यों नहीं मिलना चाहिए? कई विधायकों ने कांग्रेस नेताओं के इस फैसले का विरोध शुरु कर दिया है। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस विधायक अजय सिंह का कहना है कि पार्टी को वफादार विधायकों को मंत्री पद देना चाहिए था, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि बागी नेताओं को मंत्री पद दिया जा रहा है। अजय सिंह ने दावा किया कि भाजपा ने उनसे संपर्क कर उनके खेमे में आने का न्योता दिया था, लेकिन एक सच्चा कांग्रेसी होने के नाते उन्होंने पार्टी छोड़ने से इंकार कर दिया।

बता दें कि अजय सिंह, वी. मुनियप्पा और एच. नागेश, रमेश जारकीहोली, बीसी पाटिल, बी.नागेन्द्र और भीमा नाइक मंत्री बनने की रेस में शामिल बताए जा रहे हैं। इनके अलावा दो कांग्रेस विधायकों एसटी सोमशेखर और बयार्ती बासवाराज ने सीएम एचडी कुमारस्वामी से मुलाकात की और मंत्री पद के लिए अपना दावा पेश किया है। गौरतलब है कि कर्नाटक सरकार में इस वक्त कैबिनेट में 3 पद खाली हैं, जिनमें से दो पद जनता दल (एस) को मिलेंगे और एक पद कांग्रेस के खाते में जाएगा। वहीं सरकार में जारी इस हंगामे को रोकने के लिए कई मंत्रियों ने मंत्री पद छोड़ने की भी पेशकश की है। इनमें कृष्णा बेरेगौड़ा, जयामाला, प्रियांक खड़गे और यूटी खादेर शामिल हैं।