कर्नाटक के दावणगेरे जिले में पांच महीने पहले हुई बैंक डकैती का मामला सुलझ गया है। पुलिस ने 13 करोड़ रुपये मूल्य का 17 किलो सोना बरामद कर लिया है और इस अपराध में शामिल छह लोगों को गिरफ्तार किया है। सोमवार को पुलिस ने इन गिरफ्तारियों की जानकारी दी और बताया कि आरोपियों ने इस डकैती की योजना बनाने में स्पेनिश वेब सीरीज ‘मनी हीस्ट’ से प्रेरणा ली थी।
गिरफ्तार किए गए लोगों में तमिलनाडु के निवासी विजय कुमार (30), अजय कुमार (28) और परमानंद (30) शामिल हैं। इसके अलावा, कर्नाटक के दावणगेरे जिले के रहने वाले अभिषेक (23), चंद्रू (23) और मंजूनाथ (32) भी इस अपराध में शामिल थे। पुलिस के अनुसार, इस गिरोह का सरगना विजय कुमार है, जो पहले बेकरी और मिठाई की दुकान चलाता था।
28 अक्टूबर 2024 को गिरोह ने दिया था घटना को अंजाम
28 अक्टूबर 2024 को गिरोह ने दावणगेरे जिले के न्यामथी शहर में स्थित भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की शाखा से 13 करोड़ रुपये का सोना चुरा लिया था। पुलिस के मुताबिक, विजय ने मार्च 2023 में 15 लाख रुपये का लोन लेने के लिए बैंक में आवेदन किया था, लेकिन कम सिबिल (CIBIL) स्कोर के कारण बैंक ने इसे अस्वीकार कर दिया। जब उसने अपने रिश्तेदार से लोन के लिए आवेदन करवाया तो वह भी रिजेक्ट हो गया। इसी से नाराज होकर विजय ने बैंक लूटने की योजना बनाई।
महीनों की तैयारी और सटीक योजना के साथ किया अपना काम
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि विजय ने ‘मनी हीस्ट’ से प्रेरणा लेकर टीम बनाई और कई बार यह वेब सीरीज देखी। इसके अलावा, उसने यूट्यूब पर डकैती में काम आने वाले औजारों से जुड़े वीडियो भी देखे। इस पूरी योजना को अमल में लाने में छह महीने का वक्त लगा। गिरोह ने सावधानीपूर्वक अपने ऑपरेशन की योजना बनाई और शिवमोग्गा व न्यामथी की दुकानों से हाइड्रोलिक कटर और गैस सिलेंडर खरीदे। वे अक्सर एक स्कूल में इकट्ठा होते और अपनी रणनीति तय करते।
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डकैती के दिन गिरोह ने बैंक में खिड़की के रास्ते घुसकर गैस कटर से लॉकर तोड़ा और सोना चुरा लिया। किसी भी सुराग को मिटाने के लिए उन्होंने सीसीटीवी कैमरे हटा दिए और डिजिटल वीडियो रिकॉर्डर (डीवीआर) भी साथ ले गए। भागने के रास्ते में डॉग स्क्वॉड को भ्रमित करने के लिए उन्होंने मिर्च पाउडर भी फेंका।
शुरुआती जांच में पुलिस को लगा कि यह किसी अंतरराज्यीय गिरोह का काम है, क्योंकि कर्नाटक के भद्रावती में भी ऐसी ही एक डकैती हुई थी। पुलिस ने उत्तर प्रदेश के ककराल में कुछ संदिग्धों का पीछा किया, लेकिन उन्हें इस मामले में शामिल नहीं पाया। इसके बाद पुलिस ने स्थानीय संदिग्धों पर ध्यान केंद्रित किया और तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर विजय और उसके साथियों को ट्रैक किया।
गिरफ्तारी के बाद पुलिस को पता चला कि विजय ने पहले चोरी का सोना अपने घर में खड़ी एक सिल्वर रंग की एसयूवी की डिक्की में छिपाया था। बाद में उसने इसे एक छोटे लॉकर में रखा और फिर तमिलनाडु के मदुरै के जंगल में एक पुराने कुएं में फेंक दिया।
जब विजय को लगा कि अब खतरा टल गया है, तो उसने कुछ सोना निकालकर अपने और अपने रिश्तेदारों के नाम से बैंकों में जमा कर दिया। इसके अलावा, कुछ सोना उसने सोने की दुकानों पर बेच दिया। पुलिस के अनुसार, इस चोरी से मिले पैसे से उसने अभिषेक, चंद्रू और मंजूनाथ को 1-1 लाख रुपे दिए, गांव में एक घर बनवाया और कई जमीन के प्लॉट खरीदे।
पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि उन्होंने सबूतों को नष्ट करने के लिए हाइड्रोलिक कटर, गैस सिलेंडर और अन्य उपकरणों को सावलंगा शहर के पास एक झील में फेंक दिया। पुलिस के मुताबिक, उन्होंने हार्ड डिस्क और डीवीआर को भी तोड़कर झील में फेंक दिया ताकि कोई सुराग न बचे। पूर्वी रेंज के पुलिस महानिरीक्षक रविकांत गौड़ा ने इस जटिल बैंक डकैती के मामले को सुलझाने के लिए पुलिस टीम की सराहना की। उन्होंने कहा, “यह एक सुनियोजित अपराध था। आरोपी ने बैंक की सुरक्षा खामियों को बारीकी से समझकर डकैती की योजना बनाई थी। पुलिस की कड़ी मेहनत से न्याय मिला।”