कर्नाटक विधानसभा चुनाव में अब ज्यादा वक्त नहीं रह गया है, ऐसे में रज्य में चुनावी गठजोड़ भी धीरे-धीरे आकार लेने लगा है। नए राजनीतिक घटनाक्रम के तहत पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने द्रमुक का साथ देने का ऐलान किया है। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खुद इसकी घोषणा की है। राज्य में बीजेपी को सत्ता में आने से रोकने के लिए यह फैसला लिया गया है। उन्होंने द्रमुक के कार्यकारी अध्यक्ष एमके. स्टालिन के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए लिखा, ‘धन्यवाद! हमलोग आपको अपना पूर्ण समर्थन देते हैं।’ दिलचस्प है कि विपक्षी एकता को मजबूत करने की रणनीति के तहत यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी से उनके आवास पर जाकर मुलाकात करने वालीं ममता ने कर्नाटक में कांग्रेस के समर्थन की बात नहीं कही। बता दें कि कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस के अलावा भाजपा और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी. देवेगौड़ा की पार्टी जनता दल सेक्युलर मुख्य राजनीतिक ताकतें हैं, ऐसे में ममता का द्रमुक के साथ जाने का फैसला चौंकाने वाला है। राज्य में 12 मई को एक चरण में चुनाव होंगे और 15 मई को मतगणना होगी। ओपिनियन पोल में हंग एसेंबली रहने का अनुमान लगाया गया है। हालांकि, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कर्नाटक में पूर्ण बहुमत के साथ बीजेपी की सरकार बनने की बात कही है।
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— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) April 25, 2018
चुनाव प्रचार जोरों पर: चुनाव तिथि समीप आते ही कर्नाटक में चुनाव प्रचार अभियान ने भी जोर पकड़ लिया है। कांग्रेस, भाजपा और जनता दल सेक्युलर के साथ ही अन्य दल भी प्रचार अभियान में जुटे हैं। कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और भाजपा की ओर से सीएम फेस बीएस. येद्दियुरप्पा ने प्रचार अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं। वहीं, जदएस की ओर से एचडी. देवेगौड़ा और उनके बेटे एवं कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी. कुमारास्वामी लगातार प्रचार कर रहे हैं। इस बीच, विभिन्न दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी लगातार जारी है। सिद्धारमैया ने कहा कि अमित शाह सिर्फ सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने में जुटे हैं। बता दें कि कांग्रेस ने लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा देने की घोषणा की है। लिंगायत का तकरीबन 124 सीटों पर प्रभाव माना जाता है, ऐसे में इस समुदाय को नजरअंदाज करना संभव नहीं है। भाजपा के मुख्यमंत्री पद का चेहरा येद्दियुरप्पा खुद इसी समुदाय से आते हैं।