Writer Akram M
Karnatatka: कर्नाटक विधानसभा (Karnatatka Assembly) में अगले साल अप्रैल 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं। विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ भाजपा (BJP) और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस (Congress) ने अपनी कमर कस ली है। हालांकि 224 सदस्यीय राज्य विधानसभा के चुनावों में कांग्रेस (Congress) की संभावनाएं बेहतर नजर आ रही हैं। लेकिन दोनों प्रमुख दलों के लिए 113 सीटों जादुई आंकड़े (बहुमत) तक पहुंचना बहुत आसान नजर नहीं आता है। इस बार कर्नाटक विधानसभा (Karnatatka Assembly) में त्रिशंकु विधानसभा आने के ज्यादा संकेत दिखाई देते हैं।
ऐसे में जनता दल (सेक्युलर) चुनावों के बाद खुद को “किंगमेकर” की भूमिका में लाने के लिए तैयार कर रहा है। जैसा कि यह दल 2018 के चुनावों के साथ कई बार कर चुका है।
क्या कहते हैं Congress के नेता
कांग्रेस (Congress) के कुछ नेताओं के मुताबिक कांग्रेस पार्टी के आंतरिक सर्वेक्षणों ने संकेत दिया है कि वह आगामी चुनाव में लगभग 90-105 सीटों के साथ बहुमत से पीछे रह सकते हैं। कांग्रेस के एक विधायक ने द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा कि इस बार कांग्रेस पार्टी 2018 के चुनावों से बेहतर प्रदर्शन करने की स्थिति में है।
उन्होने कहा कि जब हमने अपने कुछ विधायकों के दलबदल से पहले 80 सीटें जीती थीं। हमारे सर्वेक्षणों के अनुसार हम बेलगावी और कल्याण कर्नाटक क्षेत्रों में अपनी संख्या में सुधार करेंगे। कल्याण कर्नाटक क्षेत्र में कांग्रेस की संभावनाओं को बढ़ाने वाले कारणों में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में मल्लिकार्जुन खड़गे का पार्टी का अध्यक्ष बनना भी है। जो इस ही क्षेत्र के कलाबुरगी जिले से आते हैं।
कांग्रेस पार्टी के भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भाजपा के खिलाफ अपने अभियान और राज्य के कुछ हिस्सों में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के प्रभाव की भी उम्मीद है।
BJP की क्या हैं उम्मीदें
भाजपा सूत्रों का कहना है कि कई कारणों के रहते पार्टी के सत्ता में लौटने की संभावना कम दिखती है। जिसमें असंतुष्ट नेताओं की बढ़ती संख्या, पूर्व मंत्री केएस ईश्वरप्पा और रमेश जरकीहोली को मंत्रिमंडल में शामिल न करने पर पार्टी के भीतर नाराजगी बनती दिख रही है।
पिछले साल पार्टी के दिग्गज नेता बीएस येदियुरप्पा का मुख्यमंत्री के रूप में पद से हटना भाजपा के लिंगायत समर्थन आधार पर प्रभाव डाल सकता है। पार्टी सूत्रों ने कहा कि भाजपा के आंतरिक सर्वेक्षणों के मुताबिक इस बार पार्टी पिछले चुनावों में 104 सीटों की तुलना में 70-80 सीटों पर सिमट सकती है। कुछ नेताओं पार्टी के पास बड़े नामों की कमी है जैसे कि येदियुरप्पा जिनके नेतृत्व में भाजपा ने कई चुनाव लड़े। उनके ना होने से पार्टी को नुकसान हो सकता है।