समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव भले ही आजम खां के लिए रफीकुल मुल्क हों लेकिन लोकप्रियता के मामले में आजम ने मुलायम को पीछे छोड़ दिया है। इसकी वजह भी है। पद्मश्री कलीमुल्ला ने आम की तीन नई प्रजातियां ईजाद की हैं, जिनमें से एक को उन्होंने आजम खां के नाम पर रखने का एलान किया है लेकिन उनके आम के बगीचे में अब तक नेताजी के नाम पर एक भी प्रजाति नहीं है। उन्होंने आम की जो दो अन्य प्रजातियां विकसित की हैं उनके नाम पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम और अमिताभ बच्चन के नाम पर रखे गए हैं।
समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्य एक बार फिर चर्चा में हैं। लेकिन इस बार अपने तल्ख बयानों से नहीं बल्कि उस खटमिट्ठे स्वाद से जिसका अक्स उनमें नजर आता है। पचास सालों से आम की नई प्रजातियों के विकास पर लगातार काम कर रहे कलीमुल्ला ने मलीहाबाद में आम के अपने बाग में फलों के शहंशाह की तीन नई प्रजातियां ईजाद की हैं। कलीमुल्ला कहते हैं कि उन्होंने आम की जिन तीन नई प्रजातियों को बरसों की कड़ी मेहनत के बाद तैयार किया है, उनकी शाखों पर फल आ गए हैं। इन तीन प्रजातियों को उन्होंने आजम खां, एपीजे अब्दुल कलाम और अमिताभ बच्चन के नाम पर रखने का एलान किया।
आम की इन तीन नई प्रजातियों के नामकरण से पहले कलीमुल्ला ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, सचिन तेंदुलकर, ऐश्वर्य राय बच्चन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नाम भी आम की प्रजातियों को समर्पित किए हैं।
मुलायम सिंह यादव से पहले आजम खां के नाम पर आम की नई नस्ल ईजाद करने की बाबत कलीमुल्ला कहते हैं कि रामपुर के विकास में आजम खां का योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। इससे इतर उन्होंने मौलाना अली जौहर विश्वविद्यालय की स्थापना कर खुद को भीड़ से अलग कर लिया। शिक्षा के क्षेत्र में आजम खान के इस योगदान को याद रखा जाएगा। वहीं एपीजे अब्दुल कलाम ने राष्ट्र निर्माण में जो योगदान दिया उसके पास पहुंचना भी नामुमकिन सा दिखता है।
जिन आदर्शों के साथ उन्होंने अपना जीवन जिया वह राष्ट्र और विश्व दोनों में मिसाल है। उनके नाम पर आम का नाम रखकर हमने फलों के राजा का सम्मान बढ़ाया है। सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के नाम पर आम को लेकर वह कहते हैं कि अमिताभ ने भी लगभग चार दशकों से अधिक समय से देश के लोगों का लगातार मनोरंजन किया। वह उत्तर प्रदेश से भी हैं। उनकी पुत्रवधू के नाम पर ऐश्वर्य आम पहले ही लोगों के दिलों में जगह बना चुका है। ऐसे में अब अमिताभ की बारी है।
लखनऊ से हरदोई के रास्ते पर करीब 25 किलोमीटर चलने पर आम के लिए अपनी पहचान बना चुके मलीहाबाद इलाके में कलीमुल्ला का आम का बाग है। इस बाग की सबसे बड़ी खासियत आम का वह नायाब पेड़ है, जिसमें आम की 350 प्रजातियां फलती हैं। एक पेड़ की अलग-अलग शाखों पर एक साथ 350 प्रजातियों के आम के दीदार शायद ही दुनिया में कहीं और हों।
इनमें किसी का हुस्न करेले की तरह का है तो कोई घमंड में बैगनी हुआ जा रहा है। कोई दिल के आकार का है तो किसी का वजन लगभग एक किलो है। कलीमुल्ला इस पेड़ को भारत के नाम से पुकारते हैं। उनका कहना है कि जिस तरह हमारे देश में अलग-अलग धर्म और जातियों के लोग रहते हैं उसकी छवि आम का यह पेड़ प्रस्तुत करता है। जब ये मिलजुल कर रह सकते हैं तो हम क्यों नहीं?
कलीमुल्ला का नायाब तोहफा
लखनऊ से हरदोई के रास्ते पर करीब 25 किलोमीटर चलने पर आम के लिए अपनी पहचान बना चुके मलीहाबाद इलाके में कलीमुल्ला का आम का बाग है। इस बाग की सबसे बड़ी खासियत आम का वह नायाब पेड़ है, जिसमें आम की 350 प्रजातियां फलती हैं। एक पेड़ की अलग-अलग शाखों पर एक साथ 350 प्रजातियों के आम के दीदार शायद ही दुनिया में कहीं और हों। कलीमुल्ला इस पेड़ को भारत के नाम से पुकारते हैं। उनका कहना है कि जिस तरह हमारे देश में अलग-अलग धर्म और जातियों के लोग रहते हैं उसकी छवि आम का यह पेड़ प्रस्तुत करता है। जब ये मिलजुल कर रह सकते हैं तो हम क्यों नहीं?