इंदौर नगर निगम के अफसर को क्रिकेट बैट से पीटने के आरोप में जेल गए बीजेपी विधायक आकाश विजयवर्गीय को जमानत मिल गई है। वहीं, रविवार सुबह उन्हें जेल से भी रिहा कर दिया गया। इस मामले में हमले का शिकार बने अफसर धीरेंद्र ब्यास पहली बार मीडिया के सामने आए। उन्होंने बताया कि उन्हें डर लग रहा है और और उन्हें पुलिस सुरक्षा की जरूरत है। संडे एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान ब्यास ने बताया कि उन्होंने किसी भी तरह से हमले के लिए उकसाया नहीं था। वह सिर्फ अपनी ड्यूटी कर रहे थे।

पीड़ित ने बताया घटनाक्रम: पीड़ित धीरेंद्र ब्यास ने 25 जून की घटना की जिक्र करते हुए बताया, ‘‘मैं 1992 से इंदौर नगर निगम में काम कर रहा हूं और अब जोनल अफसर के पद पर तैनात हूं। जब मैं मौके पर पहुंचा तो पुलिसकर्मी भी मेरे साथ थे। आकाश विजयवर्गीय ने बताया कि वह भी आ रहे हैं और हम उनका इंतजार करें। मैंने ओके कह दिया। मेरे वरिष्ठ अधिकारी आशीष खरे उनसे बात कर रहे थे, न कि मैं। आशीष ने आकाश को बताया कि यह इमारत काफी कमजोर हो चुकी है, जिसे ढहाना काफी जरूरी है। साथ ही, इस संबंध में 19 जून को सर्कुलर जारी कर दिया गया था।’’

National Hindi News, 30 June 2019 LIVE Updates: देश-दुनिया की हर खबर पढ़ने के लिए यहां करें क्लिक

अचानक होने लगी मारपीट: ब्यास ने बताया, आकाश विजयवर्गीय जब मौके पर आए तो हमने उन्हें इमारत की हालत दिखाई। इसके बाद आकाश ने कहा कि 10-15 मिनट में यह जगह खाली कर दो, वरना तुम्हें खदेड़ दिया जाएगा। जब उन्होंने यह बात कही, मैं एक तरफ खड़ा था। आप वीडियो में भी देख सकते हैं कि मैं एकदम किनारे खड़ा हुआ था। मैंने किसी से कुछ भी नहीं कहा था। आकाश विजयवर्गीय से मेरे संबंध काफी अच्छे हैं। वह मुझे ब्यास जी और मैं उन्हें आकाश जी कहकर बुलाते हैं। मैं नहीं जानता कि अचानक क्या हो गया? मैं फोन पर काम की बात कर रहा था और उन्होंने बैट से हमला कर दिया। जब उन्होंने पीटना शुरू किया तो लोग भी उनका साथ देने लगे।

 

मारपीट में नहीं लगी चोट: प्राइवेट अस्पताल में एडमिट ब्यास ने एक्सप्रेस को फोन पर बताया कि हमले के बावजूद उन्हें कोई गंभीर चोट नहीं लगी। कुछ पुरानी बीमारियों के चलते मैं अस्पताल में भर्ती हुआ हूं। उधर, बीजेपी का आरोप है कि निगम अधिकारी गंजी कॉम्प्लेक्स में महिला किराएदारों के साथ अभद्रता कर रहे थे, जिसके बाद आकाश विजयवर्गीय ने नाराजगी जताई थी। इस पर ब्यास ने बताया कि ऐसा कुछ नहीं हुआ। उस वक्त मीडिया-पुलिस समेत सभी लोग वहां मौजूद थे। इस बात का कोई सबूत नहीं है। मैं उस दिन किसी भी घर में नहीं घुसा था। ढहते हुए घर में घुसने की हिम्मत कौन करेगा?

डर को लेकर यह बोले अफसर: पीड़ित निगम अफसर ब्यास ने कहा, ‘‘जिन अन्य लोगों ने मुझ पर हमला किया, वे गुंडे थे। कोई नहीं जानता कि उनके दिमाग में क्या चल रहा है? भय है। बिल्कुल है। मुझको भी है। मेरे भइया को भी है। सबको है। मैंने एसपी को पत्र लिखकर सुरक्षा की मांग की है, क्योंकि यह मामला बढ़ता जा रहा है। मैं सिर्फ अपनी ड्यूटी कर रहा था और लोगों ने मुझ पर हमला कर दिया। इसके बावजूद मैंने धैर्य बनाए रखा। इलाके में मौजूद मजदूरों ने मुझे बचाया, क्योंकि वे 15-20 साल से मेरे साथ काम कर रहे हैं।’’