इलाहाबाद हाई कोर्ट ने रासुका के तहत बंद डाक्टर कफील की हिरासत रद्द करते हुए उन्हें तत्काल प्रभाव से रिहा करने का मंगलवार (1 सितंबर, 2020) को आदेश दिया है। गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्रवक्ता और बालरोग विशेषज्ञ डॉक्टर कफील खान को सीएए और एनआरसी के विरोध के दौरान अलीगढ़ विश्वविद्यालय में 13 दिसंबर 2019 को कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने के आरोप में यूपी पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस सौमित्र दयाल की पीठ ने कफील की मां नुजहत परवीन की याचिका पर यह आदेश पारित किया। कोर्ट ने रासुका के तहत डॉक्टर कफील खान को हिरासत में लेने और हिरासत की अवधि को बढ़ाए जाने को गैरकानूनी करार दिया। नुजहत परवीन ने अपनी याचिका में आरोप लगाया गया था कि फरवरी की शुरुआत में एक सक्षम अदालत द्वारा डाक्टर कफील को जमानत दे दी गई थी और उन्हें जमानत पर रिहा किया जाना था। लेकिन उन्हें चार दिनों तक रिहा नहीं किया गया और बाद में उनपर रासुका लगा दिया गया।
इधर नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने साल 2019 के लिए जेल संबंधित एक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के मुताबिक देश में करीब 4.72 लाख कैदी हैं। इनमें पुरुषों की संख्या 4.53 लाख हैं जबकि महिला कैदी 19,081 हैं। रिपोर्ट के मुताबिक इनमें सत्तर फीसदी अंडर ट्रायल हैं और तीस फीसदी ही दोषी हैं। रिपोर्ट के मुताबिक देश में सबसे अधिक कैदी उत्तर प्रदेश में हैं, जहां कैदियों की संख्या एक लाख हैं। इसके बाद मध्य प्रदेश में 44,603, बिहार में 39,814 कैदी हैं।
Weather Forecast Today Live Updates
रिपोर्ट में बताया गया कि देश में सबसे अधिक दलित कैदी यूपी में हैं। इसके बाद मध्य प्रदेश और पंजाब की जेलों में सबसे अधिक दलित कैदी बंद हैं। सबसे ज्यादा आदिवासी कैदी मध्य प्रदेश में हैं और सबसे ज्यादा मुस्लिम कैदी यूपी की जेलों में बंद हैं। इधर साल 2015 की रिपोर्ट की बात करें तो उस समय दलित और आदिवासी दोषी कैदियों की संख्या इनती ही थी। साल 2015 में 21 फीसदी दलित, 13.7 फीसदी आदिसी और 15.8 फीसदी दोषी मुस्लिम जेल में थे। इसके अलावा एससी/एसटी एक्ट के तहत 2019 देशभर में 628 लोग जेल में हैं। सबसे ज्यादा यूपी में 141, एमपी में 111 और बिहार में 79 लोग जेल में हैं।