बिहार में नीतीश सरकार ने भले ही जंगल राज का खात्मा किया हो। लेकिन राज्य की जेलों के भीतर अभी भी जंगल राज जैसी स्थिति ही है। कैदी खुले आम मोबाइल फोन और हाई-फाई गैजेट्स का इस्तेमाल करते हैं। वे सिगरेट, गांजा, चरस और ड्रग्स तक लेते हैं। कोर्ट में पेशी के लिए उन्हें जब पुलिस वाहन से ले जाया जाता है, तब वे बीच में उतर कर दुकानों से नशीले पदार्थ खरीदते हैं। ये खुलासा शुक्रवार (नौ मार्च) को कुछ वीडियो क्लिपिंग्स के जरिए हुआ। न्यूज चैनलों पर एक वीडियो दिखाया गया, जो आरा जेल का बताया गया। क्लिप में कैदी नशीले पदार्थों का सेवन करते दिखे। वे इसमें फोन पर बात करते पाए गए। वहीं, कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि वे महंगे गैजेट्स के जरिए चैटिंग भी करते हैं। जेल की इसी स्थिति के सामने आने पर पुलिस और जेल प्रशासन की भूमिका पर बड़े सवाल उठ खड़े हुए हैं। घटना से जुड़ी वीडियो क्लिप जब वायरल हुई तो मामला डीजीपी तक पहुंचा। उन्होंने कहा है कि फिलहाल जांच जारी है। मामले में जो भी आरोपी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
शुक्रवार दोपहर न्यूज चैनलों और सोशल मीडिया पर एक क्लिप चल रही थी। वीडियो में अपराधी जेल प्रशासन की नाक के नीचे नियमों को तोड़ते दिखे। वे खुले आम मोबाइल चला रहे थे। गुटखा, सिगरेट, चरस, गांजा और अन्य नशीले पदार्थों का सेवन करते नजर आ रहे थे।
'Most wanted' killers seen using mobile phones inside jail in Bihar | Ground report by Shyam #BiharJailRaj pic.twitter.com/oH6Ttc80CL
— TIMES NOW (@TimesNow) March 9, 2018
#BREAKING – VIP Bihar Jail Convicts – Drugs like Marijuana supplied to inmates inside the jail. pic.twitter.com/q85GXto4mA
— News18 (@CNNnews18) March 9, 2018
वहीं, जेल की इस हालत पर भाजपा नेता नंद किशोर यादव ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सवाल किया, “जेलों का यही हाल सीएम के न्याय के साथ विकास और उनका सुशासन है? आरा जेल की वीडियो क्लिप जिस तरह वायरल हुई है कि लोग चरस-गांजा पी रहे हैं। मोबाइल से चैट कर रहे हैं। हो सकता है कि वे सीएम से ही चैटिंग कर रहे हों और नीतीश को अच्छा भी लग रहा होगा। चूंकि अपराधियों के मन को ऊंचा करने में सीएम का योगदान रहा है।”
उधर, एडीजी एस.के. सिंघल ने इस बारे में मीडिया से बात की। उन्होंने कहा कि वीडियो की जांच की जा रही है। एक बार मामले की पुष्टि हो जाए, जिसके बाद सख्त कार्रवाई होगी। यह जांचा जाएगा कि आखिर कैदियों के पास मोबाइल फोन और नशे की सामग्री कैसे पहुंचीं।