आइसा के कार्यकर्ता अनमोल रत्न पर बलात्कार का आरोप ऐसे समय में लगा जब जेएनयू में छात्र संघ चुनाव होने जा रहे हैं। इसने एनएसयूआइ और एबीवीपी को उनके चिर प्रतिद्वंद्वी वाम धड़ों को घेरने का मौका दे दिया है। जेएनूय में इससे पहले भी वाम खेमे में यौन उत्पीड़न के आरोप लगे हैं। 2013-14 में जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष अकबर चौधरी और छात्रसंघ सह सचिव सरफराज हमीद पर पद पर रहते यौन उत्पीड़न के आरोप लगे। चौधरी और हमीद को पद से इस्तीफा देना पड़ा। आरोप पर आंतरिक समिति बनी। चौधरी और हमीद को एक हफ्ते के लिए हॉस्टल से निष्कासित होना पड़ा।
इसके बाद दिसंबर 2015 में आइसा के काडर रहे जेएनयू के प्रोफेसर डॉक्टर अरशद आलम पर विदेशी शोधार्थी के यौन उत्पीड़न के आरोप लगे। बांग्लादेश मूल की युवती जो डॉक्टर अरशद आलम के सानिध्य में समाजशास्त्र से पीएचडी कर रही थी, उसने शिकायत दर्ज कराई थी। विश्वविद्यालय ने कार्यकारी परिषद की आकस्मिक बैठक बुलाई। मामला यौन उत्पीड़न निवारण कमेटी (जीएसकैस) को भेजा गया जिसने डॉक्टर अरशद को दोषी पाया। उन्हें तत्काल हटाने की सिफारिश की गई थी। वहीं 2009 में जेएनयू के लैंग्वेज लिटरेचर एंड कल्चरल स्टडीज के एक एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर गंगा सहाय मीणा पर भी संस्कृत स्टडीज की एक पूर्व छात्रा ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाते हुए तत्कालीन कुलपति बीबी भट्टाचार्य को शिकायत दी। इस मामले में भी कार्यकारी परिषद की आकस्मिक बैठक बुलाई गई। मामला यौन उत्त्पीड़न निवारण कमेटी (जीएसकैस)को भेजा गया जिसने डा अर्शद को दोषी पाया। प्रोफेसर को एक साल तक के लिए निलंबित किया गया।
जेएनयू यौन उत्पीड़न को लेकर लगातार चर्चा में रहा है। तत्कालीन केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने 2013-2014 के डाटा का हवाला देते हुए लोकसभा के बीते शीतकालीन सत्र में कहा था कि तमाम उच्च शिक्षण संस्थानों में जेएनयू यौन उत्पीड़न के मामले में सबसे अव्वल रहा। सरकार ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से मुहैया कराई गई जानकारी के आधार पर कहा था कि 104 उच्च शिक्षा संस्थानों में किए एक सर्वेक्षण में यौन उत्पीड़न के सबसे ज्यादा मामले (25) जेएनयू से थे। इतना ही नहीं दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्लू) की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने भी दावा किया था कि 2013 में दिल्ली के 16 शिक्षण संस्थानों में दायर 101 यौन उत्पीड़न की शिकायतों का करीब 50 फीसद जेएनयू से थे।
इन शिकायतों में कई गलत साबित हुई थीं। इसके बाद जेएनयू ने अपनी नई यौन उत्पीड़न निवारण नीति में एक धारा जोड़ जांच समिति के समक्ष दायर झूठी शिकायतों के लिए एक दंड का प्रावधान शामिल किया। दूसरा इन शिकायतों में सभी विचारधारा व छात्र संगठनों से जुड़े लोग थे। न कि केवल किसी खास संगठन के। जेएनयू छात्रसंघ की उपाध्यक्ष व आइसा नेता शेहला रशीद ने साफ किया है कि आइसा ने इसकी कड़ी निंदा की है। आरोपी अनमोल रत्न को संगठन ने बाहर कर दिया गया है। उस पर कार्रवाई की मांग में वह भी साथ है। आइसा कानून का सम्मान करती है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि आरोप लगने से कोई अपराधी नहीं हो जाता। कार्यकर्ताओं के निजी गुण-दोष हो सकते हैं। एक व्यक्ति पूरे संगठन का पर्याय नहीं होता।

