दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को शहर की पुलिस को निर्देश दिए कि देशद्रोह के जिस मामले में जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार को गिरफ्तार किया गया है, वह उस मामले की जांच की स्थिति रिपोर्ट बुधवार (24 फरवरी) तक अदालत में दायर करे। अदालत ने ये निर्देश कन्हैया की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान दिए। दिल्ली पुलिस ने कन्हैया की जमानत का विरोध किया है। सुबह साढ़े दस बजे न्यायाधीश प्रतिभा रानी के समक्ष सुनवाई शुरू होने पर पीठ ने कहा, ‘‘क्या आप स्थिति रिपोर्ट दाखिल कर रहे हैं? यदि आपको पता था तो आपको ऐसा करना चाहिए था।’’ पुलिस का पक्ष रखते हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि वे कन्हैया की जमानत याचिका का विरोध कर रहे हैं। तब पीठ ने कहा, ‘‘स्थिति रिपोर्ट का क्या हुआ? यदि आपके पास स्थिति रिपोर्ट नहीं है तो मैं आगे कार्यवाही नहीं करूंगी। अपने जांच अधिकारी से रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहिए।’’
एएसजी मेहता ने पीठ को बताया कि वे सीलबंद लिफाफे में स्थिति रिपोर्ट दायर करेंगे क्योंकि ‘‘यह आरोपपत्र से पहले की जमानत है और स्थिति रिपोर्ट आरोपी को नहीं दिखाई जा सकती।’’ इसपर पीठ ने कहा, ‘‘मुझे यह सीलबंद लिफाफे में नहीं चाहिए। आपको इसे दायर करना होगा। नोटिस जारी कीजिए। कल (बुधवार) तक स्थिति रिपोर्ट दाखिल कीजिए।’’ हालांकि पीठ ने यह स्पष्ट कर दिया कि स्थिति रिपोर्ट जमानत तक ही सीमित होगी।
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दिल्ली सरकार के वरिष्ठ स्थायी अधिवक्ता राहुल मेहरा ने अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल मेहता और संजय जैन तथा वकील अनिल सोनी की मौजूदगी का विरोध किया। उन्होंने कहा कि इस मामले में आने से पहले उन्हें इस बारे में अधिसूचना जारी करनी चाहिए थी। मेहरा ने बेंच को बताया, ‘‘यदि उनके पास अधिसूचना नहीं है तो वे इस अदालत के समक्ष खड़े नहीं रह सकते।’’ इसपर एएसजी जैन ने कहा, ‘‘यदि एएसजी इस मामले में पेश हो रहे हैं तो आपका इस मुद्दे पर हस्तक्षेप का कोई मतलब नहीं बनता।’’
तब पीठ ने हस्तक्षेप करते हुए कहा, ‘‘इस मुद्दे पर लड़िए मत। मैं तभी कार्यवाही आगे बढ़ाउंगी, जब स्थिति रिपोर्ट दायर की जाएगी।’’ हालांकि अधिवक्ता मेहरा ने कहा कि उन्होंने ‘लक्ष्मण रेखा’ लांघी है और मैं ऐसा तब तक नहीं होने दूंगा, जब तक अदालत आदेश नहीं पारित कर देती। मुझे यह जिम्मेदारी इस उच्च न्यायालय ने ही सौंपी है।
मेहरा ने यह भी दावा किया कि इस मामले में स्थिति रिपोर्ट दिल्ली पुलिस आयुक्त द्वारा दायर की जानी चाहिए और उन्हें अपना रुख स्पष्ट करना होगा क्योंकि उन्होंने पहले कहा था कि दिल्ली पुलिस कन्हैया की जमानत याचिका का विरोध नहीं करेगी।
कन्हैया का पक्ष रखने के लिए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और रेबेका जॉन तथा वकील वृंदा ग्रोवर और सुशील बजाज अदालत कक्ष में मौजूद थे। सुनवाई लगभग 10 मिनट चली। बीते 15 फरवरी और 17 फरवरी को पटियाला हाउस अदालत में हिंसा की घटनाओं के चलते बुधवार (23 फरवरी) को जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय परिसर में सुरक्षा के अभूतपूर्व इंतजाम देखने को मिले। पटियाला हाउस अदालत में उपद्रवी वकीलों ने सुनवाई के दौरान कन्हैया, वादियों और पत्रकारों को पीटा था।
कन्हैया ने उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर उच्च न्यायालय में जमानत याचिका दायर की थी। उच्चतम न्यायालय ने यह कहते हुए उसकी जमानत याचिका पर सुनवाई से इंकार कर दिया था कि इससे एक ‘‘खतरनाक उदाहरण’’ बन जाएगा।
अपनी याचिका में कन्हैया ने दावा किया कि उसे इस मामले में ‘झूठे फंसाया’ गया है और उसने कोई राष्ट्र विरोधी नारे नहीं लगाए। जेएनयू छात्र संघ के नेता ने दावा किया कि उसे एक ऐसी प्राथमिकी के आधार पर गलत तरीके से गिरफ्तार कर लिया गया, जिससे जुड़ा ऐसा कोई साक्ष्य नहीं था जो इस गंभीर आरोप के लिए उसपर मामला दर्ज करवा सकता हो।
कन्हैया को 12 फरवरी को गिरफ्तार किया गया और पटियाला हाउस अदालतों में हिंसा के बीच 17 फरवरी को उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। अपनी याचिका में उसने यह भी दावा किया कि उसके खिलाफ कोई मामला नहीं बनता क्योंकि उसके खिलाफ कोई सबूत नहीं है। उसने कहा कि नौ फरवरी को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में आयोजित समारोह के दौरान उसने कभी कोई राष्ट्रविरोधी नारा नहीं लगाया।
दो मार्च तक न्यायिक हिरासत में भेजे गए कन्हैया ने तिहाड़ जेल में अपनी जिंदगी को खतरे में बताते हुए सीधे शीर्ष अदालत से जमानत मांगी थी।