जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए हमले को लेकर जेएनयू की एक प्रोफेसर ने पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती को निशाने पर लेते हुए विवादित टिप्पणी की। लॉ, गवर्नेंस एवं आपदा अध्ययन की प्रोफेसर अमिता सिंह ने ट्वीट करते हुए लिखा था कि पीडीपी प्रमुख अगर जवानों की मौत से वाकई दुखी हैं तो सार्वजिनक तौर पर जान से मारने के लिए 40 लोग उपलब्ध कराएं।
अमिता सिंह ने यह भी आरोप लगाया कि चेकिंग में ढील देते हुए वहां से तीन चेंकिग बैरियर हटाया गया था जिस वजह से आरडीएक्स लिए आतंकी पकड़ में नहीं आ सका और इतना बड़ा हमला करने में सफल रहा। 16 फरवरी को अमिता ने यह बात ट्वीट में कही थी।अमिता सिंह के इस बयान के बाद पीडीपी का कहना है कि वह अमिता के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगी। दिल्ली पुलिस को सिंह के बयान को भी संज्ञान में लेने के लिए कहा गया है।
पीडीपी के ट्विटर हैंडल से लिखा गया है, ‘जेएनयू की एक प्रोफेसर मनगढ़त कहानियां और बेबुनियाद आरोप महबूबा मुफ्ती के खिलाफ लगा रही है। इतना ही नहीं वह इन सबके इतर कश्मीर में 40 लोगों की सार्वजनिक फांसी की भी मांग की है, हम उनके इस बयान की कड़ा विरोध जताते हैं और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे। दिल्ली पुलिस को इस बात का संज्ञान लेना चाहिए।’
जम्मू कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने खुद इस पर प्रक्रिया देते हुए कहा कि शिक्षा देने वाला कोई शख्स ऐसा कैसा हो सकता है। अगर वह(अमिता सिंह) वाकई शिक्षित हैं तो फिर वह जानबूझकर कश्मीरियों को कष्ट पहुंचाना चाहती हैं। विडंबना यह है कि वह लॉ, गवर्नेंस की अध्यापिका हैं।
बता दें कि सिंह इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च की सदस्य हैं। वर्तमान में वह आपदा प्रबंधन से संबंधित विषय के केंद्र की अध्यक्ष हैं। इस बयान को लेकर जब अमिता सिंह से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैनें कुछ अपनी तरफ से नहीं कहा है यह बात टीवी डिबेट में कही गई है। आर्मी की रिपोर्ट की आधार पर ही मैंने अपना बयना दिया है। मुफ्ती हत्यारों काम समर्थन करती हैं।वह हमेशा आतंकियों को शहीद बताती आई हैं उन्हें भी अपने यहां के लोगों के मरने के बाद कैसा महसूस होता है यह एहसास कराना चाहिए।