भाजपा नेता नूपुर शर्मा के पैगंबर महोम्मद पर दिए गए बयान के बाद रांची में 10 जून को भड़की हिंसा पर पुलिस की एफआईआर से बड़ा खुलासा हुआ है। रांची के दो थानों में दर्ज पांच अगल – अगल एफआईआर में कहा गया है कि उपद्रवियों ने मंदिर पर हमला करके धार्मिक आधार पर दंगा भड़काने की साजिश रची थी। उपद्रवियों ने हिंसा के दौरान पुलिस पर पत्थरबाजी, उनके हथियार छीनने के साथ 60-80 गोलियां चलाई थी और कई पुलिसकर्मियों की हत्या करने की कोशिश की थी।

एफआईआर में आगे कहा गया है कि पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के पांच राउंड और हवा में कई राउंड फायरिंग की। इसके साथ ही  स्थिति नियंत्रित होने के बाद पुलिस ने तलाशी ली, लेकिन कोई घायल नहीं मिला।

मुख्य एफआईआर को सीओ अमित कुमार भगत की शिकायत के आधार पर दर्ज किया गया है, जिन्होंने कहा था कि वह 10 जून को गश्त पर थे और इस दौरान उन्होंने देखा कि दोपहर 2 बजे के बाद हिंसा शुरू हो गई थी। एफआईआर में भगत ने कहा है कि बिना अनुमति के रैली निकली गई और भीड़ काफी आक्रामक थी। उन्होंने भीड़ को रोकने की कोशिश की, लेकिन 8 से 10 हजार लोगों ने एक साथ पत्थरबाजी शुरू कर दी। बड़ी संख्या में उपद्रवी हनुमान मंदिर के पास जमा हो गए और पत्थर से हमला करने के साथ ही पुलिस को भी निशाना बनाया।

पुलिस की ओर से उपद्रवियों पर दंगा फैलाने, हत्या की कोशिश, सरकारी कर्मचारी को नुकसान, धार्मिक भावनाएं भड़काने, पब्लिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की धाराओं में मामला दर्ज किया गया है।

हिंसा में कथित तौर पर पुलिस की गोली लगने के कारण मुदस्सिर 15 और साहिल 21 की मृत्यु हो गई थी जबकि एक पुलिसकर्मी समेत 8 लोग घायल हो गए थे, जिनका इलाज रांची स्थित रिम्स में चल रहा है।

द इंडियन एक्सप्रेस की ओर से देखी गई एफआईआर में लिखा हुआ है कि भीड़ ने पुलिस की बैरिकेड को तोड़कर हनुमान मंदिर पर जाने की कोशिश की। उनमादी भीड़ के द्वारा जान से मारने की नियत से पुलिस पर कई राउंड फायरिंग की गई और कुछ पुलिसबलों को पकड़कर उनसे हथियार भी छिनने की कोशिश की।