बिहार की एनडीए सरकार के बड़े घटक दल और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने दूसरे सहयोगी दल और केंद्र में एनडीए के अगुवा बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। जेडीयू ने पड़ोसी राज्य झारखंड में सभी 81 विधान सभा सीटों और सभी 14 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है। नीतीश सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री और झारखंड में पार्टी के कॉर्डिनेटर श्रवण कुमार ने कहा कि उनकी पार्टी का सिर्फ बिहार में बीजेपी से गठबंधन है और कहीं नहीं। इसलिए उनकी पार्टी झारखंड में सभी विधान सभा और सभी लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार खड़ा करेगी। बता दें कि पिछले विधान सभा चुनाव में साल 2014 में जेडीयू को एक भी सीट नहीं मिली थी।
इधर, बिहार में जेडीयू ने खुद को गठबंधन का बड़ा भाई कहा है और लोकसभा चुनाव में 25 सीटों की मांग की है। इसके अलावा पिछले दिनों नीतीश कुमार के आवास पर जेडीयू नेताओं की बैठक के बाद पार्टी महासचिव के सी त्यागी ने एलान किया कि अगला चुनाव नीतीश कुमार की अगुवाई में ही लड़ा जाएगा। हालांकि, इस मामले को बीजेपी नेता ओर राज्य के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने यह कहकर ठंडा करने की कोशिश की कि दिल मिला है तो सीटों का बंटवारा कौन सी बड़ी चीज है। केंद्र में भी जेडीयू एनडीए में शामिल है लेकिन उसके एक भी मंत्री केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में नहीं हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि जेडीयू और बीजेपी के बीच रिश्ते सामान्य नहीं चल रहे हैं। हाल के दिनों में एनडीए से शिवसेना और टीडीपी ने खुद को अलग किया है, जबकि कई दल असंतुष्ट बताए जा रहे हैं।
नीतीश कुमार पहले भी झारखंड की रघुवर दास सरकार की खुलकर आलोचना करते रहे हैं खासकर शराबबंदी के मुद्दे पर नीतीश कई बार झारखंड जाकर रघुवर दास को शराबबंदी कराने का चैलेंज दे चुके हैं लेकिन पिछले साल जुलाई में बिहार में बीजेपी के साथ गठबंधन सरकार बनने के बाद से जेडीयू के नेता उहापोह में थे कि वो रघुवर दास सरकार की आलोचना करें या नहीं? लगभग सालभर संशय में रहने के बाद अब जेडीयू ने स्पष्ट लाइन खींची है कि झारखंड में जेडीयू और बीजेपी की राह अलग-अलग होगी।
