भारत-चीन के बीच लद्दाख की गलवान घाटी में हुई मुठभेड़ में देश की रक्षा करते हुए 20 जवान शहीद हुए। इनमें झारखंड के बीरभूम स्थित बेलगोरिया गांव के आदिवासी जवान राजेश ओरांग भी शामिल थे। शुक्रवार को उनका शव घरवालों के पास पहुंचने के साथ ही पूरा गांव शोक की लहर में डूब गया। स्थानीय लोगों ने बताया कि राजेश का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ था, जो खेतों पर काम कर जीवन यापन करता था। इसलिए उनके पास ऐसी कोई जमीन नहीं थी, जिसपर शहीद जवान को आदिवासी परंपरा से दफनाया जा सके। इस घड़ी में राजेश के चाचा ने बेलगोरिया के मोहम्मदबाजार में शहीद को दफनाने के लिए अपनी जमीन दे दी।

दरअसल बेलगोरिया के लोग चाहते थे कि राजेश का शव गांव से जुड़ी सड़क पर ही बनवाया जाए, ताकि वहां शहीद के सम्मान में मकबरा बनवाया जा सके। लेकिन राजेश के परिवार के पास कोई जमीन न होने से उनकी परेशानी बढ़ गई। ऐसे में गांववाले शहीद के चाचा गोपीनाथ ओरांग के पास पहुंच गए, जिनकी मेन रोड पर ही जमीन है। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, गोपीनाथ ने बिना देर किए, अपने भतीजे के अंतिम संस्कार के लिए वो जमीन दे दी। बड़ी बात यह है कि गोपीनाथ भी एक किसान हैं, जिनके पास आधा एकड़ जमीन है।

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शहीद राजेश के अंतिम संस्कार में सेना के साथ कुछ नेता भी शामिल हुए। उन्हें यहां जवानों की तरफ से बंदूकों की सलामी दी गई। इस मौके पर करीब 8 हजार गांववाले राजेश के अंतिम संस्कार को देखने के लिए मौजूद थे। गांववालों का कहना है कि वे धरती के वीर पुत्र के लिए स्मारक बनवाना चाहते हैं और इसके लिए वे रकम इकट्ठा करेंगे। गैर-राजनीतिक संगठन बीरभूम आदिवासी गौना के सचिव रबिन सोरेन ने कहा कि राजेश का परिवार काफी करीब है, इसलिए हम शहीद की कब्र पर स्मारक के निर्माण के लिए तैयार हैं, इसमें स्थानीय प्रशासन भी हमारी मदद करेगा।

झारखंड सरकार ने चीन से लोहा लेते हुए जान गंवाने वाले इस जांबाज सैनिक के परिजनों के लिए लिए 5 लाख रुपए की मदद का ऐलान किया है। इसके अलावा सीपीएम नेता सुजन चक्रवर्ती ने भी परिवार को पार्टी की तरफ से एक लाख रुपए का चेक दिया।